Wednesday 23 May 2007

बडे बेआबरू होकर तेरे कुचे से हम निकले

" तू है तो सबकुछ है और तू नही तो कुछ भी नही" कि तर्ज़ पर आजकल हमारे युवा भाई लोग कुछ ज्यादा ही रोमांटिक होते जा रहे है । सड़क पर कोई लडकी क्या देखी हो गए लट्टू और जब होश आया तो घिरे पडे है भीड़ से ।

आज सुबह हम बस्स स्टैंड पर खडे थे और अचानक पीछे से आयी आवाज़ ने ध्यान खिंचा । एक पतला-दुबला नौजवान लोगो से घिरा था और लोग उसपर थप्पर बरसा रहे थे । हुआ ऐसा था एक २८-२९ वर्ष कि कन्या पुरे आधुनिक लिबास में बस के इंतज़ार में खडी थी इतने में एक साइकिल सवार भाई साहब आये और कह बैठे "माल लग रही हो" उन भाई साहब को इसका अंदाजा नही था कि वो कन्या उन्हें घेर लेगी , बगल से एक भाई साहब और जा रहे थे कुछ अजीब सा हेयर स्टाइल सिर पर लादे हुए । दौर परे और लपक लिया उस साइकिल सवार को । अब एक तरफ से भाई पद वो कन्या छाते से वार कर रही थी और दुसरी ओर से वो भाई साहब । उस बेचारे लड़के कि हालत तो बड़ी ही अजीब हो गयी थी । इश्क्गिरी के फिराक में भाई साहब सरेआम पिटे ।

2 comments:

योगेश समदर्शी said...

जब यह सब हो रहा था तब आप क्या कर रहे थे भाई साहब!

Udan Tashtari said...

न वो छेड़ता,न कोई उसे मारता और न ही यह न्यूज पोस्ट बन पाती. आपको तो उस बालक का साधुवाद कहना चाहिये. :)