Sunday 6 May 2007

टूटी-फूटी सडको पर सनसनाती गाडिया


( नेशनल सैम्पल सर्वे आरगेनाइजेशन के आंकडो को देखे तो 1993-94 से लेकर 2004-05 के बीच भारत के ग्रामीण इलाको में कारो और जीप की संख्या चार गुने से भी ज्यादा हुई है । )


आपने सुना होगा हमारे देश कि सडकों के बारे में । वो भी अगर गांवो की बात करें तो कही सडको मे गद्दे है तो कही गढ़्ढ़ो मे सड़क । लेकिन अपको ये जानकर बरी हेरात होगी कि गांवो कि इन्ही टूटी-फूटी सडको पर देश कि करीब ७० फीसदी आबादी सफ़र करती है । जाहीर है कि इन इलाकों मे गाडियों कि एक बड़ी संख्या है । बाज़ार के अनुमान को माने तो भारत के ग्रामीण इलाकों मे दोपहिया ओर चौपहिया गाडियों का बाज़ार करीब ८००० करोड़ का है । अब तक ग्रामीण इलाकों मे कार के बाज़ार पर बहुत ध्यान नही था लेकिन अब वह के लोगो कि बढती ख़रीद क्षमता को देखते हुए कार कम्पनियों ने छोटी कारों को बाज़ार मे उतारने कि तैयारी कर रखी है । टाटा ने लखटकिया कार २००८ तक बाज़ार में उतारने कि तैयारी मे प बंगाल में १००० करोड़ कि परियोजना शुरू की है वहीँ होंडा ने भी राजस्थान मे छोटी कारों के लिए संयंत्र लगाने कि घोषणा कि है ।

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