Tuesday 30 October 2007

ये वक्त किसी का नहीं होता भैया!

ये वक्त भी बड़ा अजीब चीज है भाई। कब किसे जमीन पर लाकर पटक दे और कब किसे कहाँ ले जाकर बैठा दे, कुछ भी गेस करना संभव नही हैं। ये समय की ही बात है कि अब कल तक कर्णाटक के मुख्यमंत्री रहे कुमारस्वामी जी को उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पद रह हैं। वो तो वक्त बुरा हैं वर्ना वो कहाँ मानने वाले थे। आख़िर उनके पापा जी की चतुराई भी उनके काम नहीं आ सकी।

अब अपनी उमा भारती जी को देख लीजिये । जब भाजपा से गयी थी तब कह रहीं थी कि मैं ही भाजपा ह लेकिन अब जाकर उन्हें भी लग रह होगा कि भाई मैं तो कुछ हूँ ही नही , अपने नटवर सिंह जी को ही देख लीजिये । हर जगह सुइट पहने हुए नजर आ जाते थे, आजकल दिखाई ही नही दे रहे हैं। अब भैया सुपर पॉवर से टक्कर लोगे तो नपोगे हीं. सब वक्त का खेल है, अपने दीवार भैया को ही देख लीजिये अभी कुछ ही दिन पहले टीम के कप्तान थे, कप्तानी उन्होने ये कहते हुए छोड़ दी कि बल्लेबाजी पर ध्यान दूंगा लेकिन अब वक्त ऐसा आया कि टीम से ही उन्हें bahar kar दिया गया। अरे भाई niras क्यों होते हो apke समय में दादा को भी तो बाहर किया गया था। अब वक्त ही ऐसा है तो क्या कर सकते हैं भाई।

Monday 29 October 2007

क्यों मार रहें हैं लोग अपनों को!

आज मुझे कई खबरें ऐसी मिलती गयी जिसने मुझे परिवार और अपनेपन के बारे में कई सवाल दे दिए। भारत जैसे देश में इस तरह कि कई खबरें एक साथ आना बरी हैरान कर देने वाली रही।

सुबह टीवी खोलते ही मुम्बई से एक खबर आई कि भाई ने संपती के विवाद में बहन को ६ गोलियाँ मरी। (क्या इन दोनों के बिच कभी प्रेम नही रह होगा, फिर कैसे भाई ने बहन पर गोली चालला dii)

दूसरी खबर डेल्ही से थी, पत्नी ने पति का कत्ल कर दिया था।

तीसरी खबर फिर मुम्बैं से थी , बाप ने अपने दो बेटों कि हत्या कर खुदकुशी कर ली, वो अपनी पत्नी कि बेवफाई से परेशान था।

अगली खबर फरीदाबाद से थी, माँ ने बेटे की हत्या कर दी थी,


न जाने ऐसी कई खबरें देश भर में आज दिन भर होती रही होगी। सोचने वाली बात है ऐसा हो क्यों रहा है । क्या हम इतने लालची हो गए हैं कि अब रिश्तों कि क़द्र नही कर सकते, अगर ऐसा नही कर सकते तो फिर क्यों नही पश्चिमी देशों के लोगो की तरह रिश्तों के बारे में हम खुलकर अपने विचार क्यों नही बना पाते।

अब क्यों चिल्ला रहें है लालू जी!

लालू जी कि रैली थी आज पटना में । करीब एक लाख लोग जमा हो गए, पता नही क्यों हुए । लालू जी संख्नाद कर रहे थे। अपनी चेतावनी रैली के मंच से लालू जी कह रहे थे अब बिहार कि जनता जग गयी है, नीतिश सरकार के कुशासन की पोल खुलेगी। लालू जी ने कहा कि नीतिश सरकार के खिलाफ चार्जशीट बनाए हुए है, नीतिश काल में हजारों अपहरण और अपराध का हिसाब रखे हुए हैं। अब लालू जी आपको याद दिलाते चले कि आपकी सरकार को गए ज्यादा दिन नही हुए हैं, जब पुरा बिहार बदनाम था। अब कुछ सुधर रहा है, तो फिर आप चिल्लाने लगे, १५ साल श्शन किये आप काहे नही कुछ किये, नीतिश जी के दुसरे साल चिल-पों मचाये हुए हैं।

बेटवा का करेगा!
लालू जी अब इ बताइये कि पटना रैली में मंच पर आपके बेतवा को कोण बुलाया था। पहले तो बीबी को पॉलिटिक्स में लॉन्च किये, अब बेटवा सब को मंच से नमस्कार करवा रहे हैं। का इरादा है, puraa ले bitiyegaa का बिहार ko।

क्या सफल रहा रैली?
रैली में बडे शुशासन की बात कर रहे थे लालू जी, लेकिन देखा आपने लालू जी के जाते हीं उनकी भीड़ ने पूरे मैदान और मंच पर तबाही मचा दी। टीवी पर देख कर लग रह था कि रामजी की सेना लंका में तोड़-फोड़ कर रही है। अब आप उनलोगों को ई नहीं बताये थे का कि सब अपना ही माल है, लूट-पाट काहे का।

Tuesday 16 October 2007

नरेन्द्र मोदी का 'कल का भारत'!

गुजरात के चुनाव की तैयारी के मद्देनजर भाजपा ने नई दिल्ली में एक सीडी जारी की। नरेन्द्र मोदी को विकास पुरुष के तौर पर दिखाया गया। नाम था 'मोदी का कल का भारत'. लेकिन इस कल के भारत में वाजपेयी जी कहीँ नहीं थे। होते भी कैसे अगर सच कहे तो अपने शाशन के दौरान वाजपेयी जी ने जिन मसलों को भुला दिया शायद मोदी जी के भारत में उन्हें नहीं भूलेगी भाजपा। मसलन राम मंदिर, ३७० और समान नागरिक संहिता। इन्हीं को भुला देने के कारन वाजपेयी जी को अगले चुनाव में हिंदुस्तान की जनता ने भी भुला दिया था। मोदी जी शायद भारत कि जनता कि आशावों पर खरे उतरें । गुजरात में हिंदु सम्मान को स्थापित कर उन्होने इसका संकेत पहले ही दे दिया है।

भारत का हर वो नागरिक (बहुसंख्यक समाज) जो वाजपेयी जी से उम्मीद लगाए था, और धोखा खा गया, एक बार फिर मोदी जी से उम्मीद लगाए हुए है। उसे उम्मीद है कि एक दिन भारत में एक ऐसी सरकार आएगी जो हिंदुओं को भी देश में बिना डरे जीने का माहौल देगी। शायद ऐसे में लोग मोदी जी कि ओर देख रहे हैं।

Monday 15 October 2007

अमेरिका से पंगा लेने का मतलब...

कल ही आडवानी जी कह रहे थे कि मनमोहन जी सबसे कमजोर पीएम हैं। लेकिन अगले दिन मनमोहन जी ने अमेरिका से हो रहे परमाणु करार को रोकने का फैसला कर सबको हैरत में डाल दिया। सामने लोकसभा का चुनाव है, ऐसे में मनमोहन जी तो जनता को फिर से दुखी करना नही चाहते। वैसे ही बहुन्शंख्यक हिंदु जनता उनकी सर्कार के भगवान् राम को लेकर बयां से अभी तक दुखी है।

लेकिन भैया राम को दुखी करोगे तो एक बार चलेगा भी, लेकिन अमेरिका को दुःखी किया है, भुगतना तो पडेगा ही, कहीँ ना कहीँ तो सजा देगा ही, तैयार रहियेगा। अब अपने नटवर जी को याद करो , बहुत बोल रहे थे इराक वाले मामले पर, क्या हुआ, कहॉ के रह गए, अच्छे खासे नेता हुआ करते थे bechaare।

लेकिन कुछ भी कहिये मनमोहन जी बडे हिम्मत से ये फैसला लिया है। हम तो अब आडवानी जी कि बात पर कभी भी बिस्वास नही करेंगे । मनमोहन जी को कमजोर पीएम कह रहे थे।

Saturday 13 October 2007

रील और रियल लाइफ के हीरो! एंग्री यौंग मैन कौन?

११ अक्तूबर को एक साथ दो आयोजन थे। रील लाइफ के हीरो अमिताभ बच्चन का ६५वा जन्म्दीन्न और रियल लाइफ के हीरो और समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की १०५वी । सारे टीवी चैनल दिनभर-अमिताभ को गाते रहे-दिखाते रहे, लेकिन जेपी को बहुत ही कम समय मिला, बस औपचारिकता भर।

अमिताभ के लिए बार-बार कहा गया- एंग्री यौंग मन । लेकिन सही कहा जाये तो इस नाम के हकदार जेपी थे। उन्होने ऎमर्जेंसी के खिलाफ पुरे देश के युवावो को खड़ा किया। समाजवादी राजनिती को पहचान दिलाई और सत्ता मोह से कभी बंधाते हुए नही दिखे। गाँधी के बाद भारत को वैसा बेटा नही मिला। लेकिन अपनी जनता(टीवी चंनेलो के लिए दर्शक) को नकली हीरो को पूजने की अदात है, और चैनल को यही बेचना है।

Wednesday 10 October 2007

महान चे ग्वेरा आज भी जिन्दा है।...

महान क्रांतिकारी चे ग्वेरा की चालिस्वी पुन्यातिथी पर पुरी दुनिया याद कर रही है । मेरे लिए तो इस इन्सान का व्यक्तित्व दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेरणादायक रही है । महज ३३ साल की उमर में ये इन्सान क्यूबा का उद्योग मंत्री बन चुका था , चाहता तो एक सम्पन्न जिन्दगी जीं सकता था। लेकिन इसने उसे ठुकरा कर जंगल में रहकर गरीबों के अधिकार की लड़ाई लड़ने का रास्ता चुना । बहुत ज्यादा नही जनता इस इन्सान के बारे में मैं लेकिन बहुत prayas karta huu कि इसकी सख्शियत को पहचानी जाये। इसने एक ऐसी लातिन अमेरिका बनैने का प्रयास किया जो आज हुगो चवेज के ब्राजील, फिदेल कास्त्रो के क्यूबा और लूला दी सिल्वा के वेनेजुएला के रुप में सामने आया है। इतना बड़ा अमेरिका है । जो पुरी दुनिया पर राज कर रहा है लेकिन वही बगल में ये सारे देश आज आज़ाद सोच रखते है ।

सब उस आज़ाद ख़्याल क्रान्ति के बेटे की देन्न है। सलाम तुजे और तेरे हिम्मत को।

Sunday 7 October 2007

कर्नाटक और पाकिस्तान का लोकतंत्र !

आज ही दो जगह से खबर आई । पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ़ ने फिर से राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया। और कर्णाटक में बीजेपी ने कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है । दोनो जगह लोकतंत्र के अलग रुप दिखे। पाकिस्तान में जहाँ लोकतंत्र मजबूत हुआ वही हिंदुस्तान में(कर्णाटक में) जनता दल एस ने लोकतंत्र का बड़ा ही घिनौना चरित्र सामने रखा । साथ ही भारत के संविधान को एक करारा तमाचा भी मारा।

पाकिस्तान में लोकतंत्र जीता!

हम पाकिस्तान में लोकतंत्र कि खराब हालत पर बडे खुश होते हैं, लेकिन वह लोकतंत्र और लोक का ही दबाव है की आज मुशर्रफ़ फिर राष्ट्रपति तो बनने में सफल जरूर हुए लेकिन उसके पहले सेना प्रमुख कि गड्डी छोड़ने का फैसला करना पड़ा। कियानी को सेना प्रमुख नियुक्त करना पड़ा। लोकतंत्र की इसी aandhii में benjeer ने भी अपने लिए कही ना कही रास्ता बाना लिया है । और जल्द ही पाकिस्तान लौटे वाली हैं ।

कर्नाटक में हारा!

कई दिनों कि बात-चीत के बाद आखिरकार आज भाजपा ने कुमारस्वामी की सर्कार से समर्थन वापस ले लिया। कभी देश के प्रधानमंत्री रहे देवेगौडा ने बेटे कुमारस्वामी को सीएम बनवाने के लिए फिर वही खेल खेलना चाहा जो उन्होने २० माह पहले कॉंग्रेस की धर्म सिंह सरकार के साथ खेला था। आज उन्होने उस भाजपा हो भी गच्चा दे दिया जो उस समय उनकी khevanhaar बनी थी। कभी उत्तर प्रदेश में सत्ता के दिनों के बटवारे मे मायावती से धोखा खा चुकी भाजपा इस बार सतर्क थी । और साफ कहा की हम नही तो तुम भी नही । ना तुम्हारी सरकार रहेगी और ना मेरी ।


दोनो का अंतर

कर्णाटक की जनता के सामने साफ है की उनके नेता सत्ता का मजा लेने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। कुमारस्वामी और उनके पापा जी आज तक जिस भाजपा के साथ सरकार में साथ चल रहे थे आज उसी के बारे में उनका कहना है कि वे सांप्रदायिक पार्टी को सत्ता नही सौप सकते । अच्छा है की पाकिस्तानी जनता अपनी मांगो के लिए सडकों पर उतरने लगी है । लग रहा है की कोई बड़ा बदलाव आएगा , और अगर सेना वहा मजबूत रहे तो ज्यादा बदलाव होगा । भारत में भी यही हाल रहा तो एक दिन ट्रस्ट हो जनता को सड़क पज उतरना होगा।

Saturday 6 October 2007

छुट्टी दिलाने वाले महात्मा जी !

अभी-अभी दो अकटूबर बिता है, क्या रौनक थी यार उस दिन। समाचार चैनल वाले गांधीजी का बखान कर रहे थे । फिल्म चैनल वाले गाँधी जी के ऊपर बनी फिल्मे दिखा रहे थे । नेता जी लोग भी सुबह से hii khaadi pehan कर chahak रहे थे । Delhi से लेकर sanyukta राष्ट्र तक mein गाँधी जी के vichaaron की baarh ला dii गयी। सारे नेता जी लोग जगह-जगह यात्राएँ निकाल रहे थे । बोले तो हर जगह गंधिगिरी छा गयी थी मामू।

मैंने भी अपने घर फ़ोन पर बात की । फ़ोन मेरे छोटे भई ने उठाई । बड़ा खुश लग रहा था , मैंने पूछा अरे भई बात क्या है , आज बडे खुश दिख रहे हो । बोला आज महात्मा जी का जन्मदिन है भैया । मैंने सोचा यार ८ साल के लड़के को महात्मा जी से क्या वास्ता । उसने कहा अरे आज छूट्टी है आज छूट्टी दिलाने वाले महात्मा जी का जन्मदिन है । मेरे एक मित्र भी बडे खुश दिख रहे थे, sarakari naukari mein hai मैंने पूछा भाई क्या बात है, बडे खुश दिख रहे हो । बोले आज गाँधी जी कि kripaa से छुट्टी पर hu।