Wednesday 2 January 2008

भारत के हर 22वें व्यक्ति के पास फोन!

वर्ष 2007-08 की दूसरी तिमाही [जुलाई-सितंबर] के दौरान देश में टेलीफोन ग्राहकों की संख्या 24 करोड़ 86 लाख 50 हजार पर पहुंच गई है। इस अवधि में ग्राहकों की संख्या में 2 करोड़ 41 लाख 50 हजार का इजाफा हुआ है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण [ट्राई] द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में अब करीब प्रति 22 व्यक्ति में से एक के पास टेलीफोन है। -- ये खबर पढ़ते हुए एक भारतीय के नाते मुझे भी भारत में दूरसंचार क्षेत्र में आई क्रान्ति पर काफी गर्व हुआ। जाहीर है लोगों के पास फ़ोन बढे हैं तो लोगों की परचेजिंग पॉवर(खरीद क्षमता) बढ़ी है। मैं भी उस वर्ग से आता हूँ जिसकी पहुंच वर्ष २००० के बाद मोबाइल तक हुई। जो १९९० के दशक में भारत में शुरू हुई उदारीकरण की नीति का परिणाम है। इसने देश के फ़ोन बाज़ार में नए खिलाड़ियों को उतरने का मौका दिया और इस कारन फ़ोन और उसको उपयोग करने का शुल्क कम हुआ। अब हालत ऐसी हो गयी है कि कई कंपनियां ५०० रूपये में भी मोबाइल देने लगी है। जाहीर है कीमतों में आई इस गिरावट के कारण आम लोग भी मोबाइल खरीदने में सक्षम हुए हैं। अब फ़ोन स्टैटस सिमबॉल नहीं रह गया, बल्कि के जरुरत बन चुकी है। बाज़ार की बिल्कुल यही हालत टाटा कि लखटकिया कार के आने के बाद भारत के कार बाज़ार का होने वाला है।

लेकिन एक बात ध्यान देने वाली है कि अब तक बाज़ार के आंकडे बता रहे थे कि गांवों में फ़ोन की संख्या बढ़ रही है। लेकिन ताजा रिपोर्ट में ये बात सामने आई है गांवों के टेलीफोन ग्राहकों में इस दौरान 2.28 प्रतिशत की गिरावट दिखी। इनकी संख्या पहले के एक करोड़ 22 लाख 70 हजार से घटकर एक करोड़ 19 लाख 90 हजार रह गई। इस दौरान इंटरनेट ग्राहकों की संख्या बढ़कर 96 लाख 30 हजार पर पहुंच गई। जाहीर है कि इंटरनेट का उपयोग शहरों में ही होता है। अभी भी गांवों में फ़ोन कि सुविधा देने में केवल सरकारी कंपनियां आगे हैं। अब जब निजी कंपनियां आगे आएँगी तो गाँव में सुविधाएं बढेगी। अभी गाँव में मोबाइल तो पहुंच गएँ हैं लेकिन बात करने के लिए लोगों को काफी समय तक मशक्कत करनी पड़ती है। फ़ोन लगते नहीं और लैंड लाइन फ़ोन कि हालत तो और खराब है। आप को अगर गाँव में नया कनेक्शन लेना है तो पता नहीं कब आपका नम्बर आयेगा। अगर लग भी गया तो पता नहीं कब खराब हो जाये या फिर पता नहीं कितने गुने ज्यादा का बिल आपको भेज दिया जाये। इन सब समस्याओं से अगर फ़ोन कोम्पनिया निजात दिलाएं तो भारत के गाँव में के बड़ी आबादी और इंतज़ार कर रही है फ़ोन कि सुविधा लेने के लिए।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

कितने लोगो के पास रोटी हे, कितनॊ के पास सर पर छत हे,कितनॊ के पास तन डकने को बस्तर हे, यह सब भी बताओ भाई,