Sunday 20 January 2008

कहलगांव में बिजली मांगने पर मिली गोलियाँ!

बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव में लोग और ज्यादा बिजली आपूर्ति की माँग के साथ सड़क पर उतरे। लोगों ने बाज़ार बंद कर दिए और आम-जन जीवन ठप्प कर दिए। लालू राज से नीतिश राज में आकर जी रही बिहार पुलिस के जवान जागे और उन्होने लोगों को काबू करने के लिए कारवाई की। इस दौरान गोलियाँ चली और ३ लोग मारे गए। ये है आज के बिहार में प्रशासन और आम जनता के अधिकारों कि हालत। लोगों का कहना था की कहलगांव में बिजली संयंत्र होने के बावजूद भी यहाँ ४-५ घंटे से ज्यादा बिजली नहीं रहती। अगर लोग ज्यादा बिजली कि माँग कर रहे हैं तो इसमे गलत क्या था। क्या प्रशासन को लोगों से बात करके लोगों कि शिकायतों को दूर नहीं करना था। क्या प्रशासन का काम यही नहीं है।

मैं हाल ही में बिहार के अपने गाँव से लौटा हूँ। मुझे अपने यहाँ बिजली, सड़क, स्वास्थ्य के मोर्चे पर कोई बदलाव अब भी नहीं दिखा। सबकुछ ऐसा ही है जैसा मैं बचपन से देखता आ रहा हूँ। अब चलते हैं बिहार कि बुनियादी हालत पर। तमाम सरकारें आयी और विकास के तमाम दावे करती रहीं। मैं खुद बिहार के छपरा जिले का रहने वाला हूँ जहाँ से कई मुख्यमंत्री बने। यहाँ तक कि जिला मुख्यालय से अन्य भागों को जोड़ने वाले मुख्य रास्ते को मैंने आजतक अच्छी हालत में नहीं देखा। हालांकि हमेशा उस रास्ते पर काम लगा हुआ ही देखता हूँ। इस बार हाल में मैं फिर गाँव गया था और फिर उस सड़क पर काम लगा ही देखा। आने-जाने के लायक तो उस रास्ते के होने का सवाल ही नहीं था। इस बार लोग थोडे उम्मीद में थे। लोगों ने कहाँ कि इस बार जरूर रोड ठीक हो जायेगा। अब देखना है कि बिहार कि यही नीतिश सरकार जनता कि उमिददों पर कितनी खड़ी उतरती है।

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