Sunday 6 January 2008

जब सांसद महोदय संसदीय क्षेत्र से दूर रहने लगें।

हम एक संसदीय व्यवस्था में रहते हैं और देश के हर आदमी का अपना कोई ना कोई सांसद होता है। हर नागरिक किसी ना किसी संसदीय क्षेत्र में रहता है। यही हमारी व्यवस्था है। सरकारी कोष से हर सांसद को एक निश्चित राशी मिलती है ताकि वो अपने क्षेत्र में विकास के काम करते रहें। मसलन स्कूल, कॉलेज, सड़क, स्वास्थ्य संबंधी काम करवाते रहें। इस काम के लिए क्षेत्र की जनता अपने सांसद को ५ साल के लिए चुनकर लोकसभा भेजती है। अब आइये एक आपको एक खबर पढाते हैं जो मुम्बई उत्तर लोकसभा क्षेत्र के लोगों से जुडी हुई है।

उत्तरी मुम्बई लोक सभा क्षेत्र के लोगों ने अपने सांसद महोदय को खोज कर लाने वाले के लिए ५१ लाख रूपये के इनाम की घोषणा की है। वहाँ के लोगों का कहना है कि वर्ष 2004 में चुनाव जीतने के बाद से हमारे इलाक़े के सांसद महोदय ने अपना चेहरा नहीं दिखाया है। इसके लिए महाराष्ट्र अल्पसंख्यक मार्चे के अध्यक्ष मोहम्मद फारूक आजम ने उनका पता लगाने के लिए 51 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की है। सच्चाई कुछ भी हो सकती है लेकिन अगर ये सच है तो वाकई गंभीर मसला है। मोर्चे ने इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को भी पत्र लिखा है। चटर्जी से आग्रह किया है कि चुनाव जीतने के बाद अपने निवार्चन क्षेत्र से गायब रहने वाले सांसदों को अयोग्य ठहराया जाए।

लेकिन इस मामले पर इससे इतर भी कुछ होना चाहिए। वोटरों को ये अधिकार दिया जाना चाहिऐ कि ऐसे सांसद
जो चुनाव जीतने के बाद अपने संसदीय क्षेत्र से दूरी बनाने लगें उन्हें सबक सीखा सके। ईस पहले भी कई इलाकों के लोगों ने अपने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ इस तरह का कदम उठाया था ताकि लोगों का ध्यान इस ओर जाये। लोगों को इस बात का अधिकार है कि वो अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल कर सके। हां इस तरह के मामलों को अपने राजनितिक फायदे के लिए उठाने वाले लोगों पर भी लगाम लगना चाहिए। लोकतंत्र में सभी धडो की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और साथ ही ये भी तय होना चाहिये कि सभी उसे निभा रहे हैं कि नहीं।

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