Thursday 31 January 2008

अगर जल्लिकट्टू में आस्था है तो रामसेतु में क्यों नहीं!

सवाल केवल रामसेतु का नहीं है। अब ये हिन्दू आस्था का सवाल बन गया है। अगर कोई रामसेतु मामले पर आस्था के सवाल को टालने की फिराक में है तो उसे तमिलनाडु में हाल में मिले जल्लिकट्टू यानि की सांढों की बर्बर लड़ाई के आयोजन को आस्था के नाम पर अनुमति मिलने का विरोध करना चाहिए फिर उसे राम सेतु पर हिन्दू भावनाओं की बात को नकारने की मांग रखनी चाहिए। राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील हो चुके सेतुसमुद्रम परियोजना को रोकने और इसे आगे बढाने को लेकर तमाम दावे और तर्क दिए जा रहे हैं। इसमें ताजा बयान तटरक्षक बल का आया है। जिसने आदम पूल या रामसेतु को तोड़ने और वहाँ सेतुसमुद्रम परियोजना पर काम करने को देश की समुद्री सीमा के लिए ख़तरा बता कर राम सेतु को तोड़ने का समर्थन करने में लगे लोगों को एक झटका दे दिया है। तटरक्षक बल के 31 वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए संगठन के महानिदेशक रूसी कांट्रैक्टर ने कहा कि इस परियोजना से सुरक्षा के कई मुद्दे जुड़े हैं और पड़ोसी देश की सीमा के यह बहुत नजदीक है जो समस्याओं का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि सेतुसमुद्रम का रास्ता भी बहुत संकरा और किसी पोत के वहां फंसने से पेचीदगियां पैदा हो सकती हैं।

कांट्रैक्टर ने कहा कि यह एक बड़ी परियोजना है और इससे सुरक्षा के कई मुद्दे जुडे़ हैं। इसके अलावा पर्यावरण के भी मामले इससे संबद्ध हैं। महानिदेशक ने कहा कि उन्होंने तटरक्षक बल की राय सरकार को बता दी है और उस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह परियोजना श्रीलंका की सीमा से बहुत नजदीक है जो समस्याओं का सामना कर रहा है। अब सुनिए उन्होने इस प्राकृतिक सीमा रेखा को बचाने के पीछे क्या तर्क रखे हैं। उन्होंने कहा कि अगर समुद्र का यह रास्ता मुक्त रूप से खोल दिया गया तो पाइरेसी और आतंकवाद समेत तमाम तरह के समुद्री खतरों से जुडे़ मुद्दों से भी निपटना होगा। जाहिर है राम सेतु को बख्शने के पीछे आस्था के साथ-साथ अब सुरक्षा का मसला भी तर्क का काम करेगा।

भले ही कांट्रैक्टर का यह बयान कई राजनीतिक पार्टियों के लिए वोट जुटाने का कारण बन जायेगा, लेकिन आम हिन्दू जनमानस जिनके लिए आज भी राम काफी श्रधेय हैं और जो किसी भी कीमत पर राम से जुडे सभी स्मारकों को बचाने के पक्ष में है एक बड़ी सफलता है। राम आज भी लाखों-करोडों हिन्दू घरों में पूजे जाते हैं. और सभी हिन्दुओं के लिए रामसेतु आस्था का एक सवाल बन गया है। अगर आज के वक्त में राम सेतु को तोड़ने का साहस कोई भी सरकार करेगी तो ये सीधे तौर पर हिन्दू भावनाओं पर कुठाराघात के रूप में देखा जायेगा और जाहिर है कि उस सरकार को हिन्दुओं के गुस्से का सामना करना पडेगा। इस मामले पर हो रही राजनीति इसे अयोध्या मामले के राह पर लेकर जा रही है।

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