Sunday 23 December 2007

जाएँ या रहें- मोदी तो मोदी ही रहेंगें!

अब कुछ घंटों में गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम आने शुरू हो जायेंगे। पूरा देश इंतज़ार कर रहा है की क्या आयेगा परिणाम। इस चुनाव में सबसे ज्यादा नरेन्द्र मोदी का दांव पर लगा हुआ है। परिणाम कुछ भी हो मोदी ने आखिरी समय तक जिस आत्मविश्वास का परिचय दिया है भारत की जनता को अब आगे एक ऐसे ही प्रधानमंत्री कि जरूरत है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री होते हुए भी राष्ट्रीय विकास आयोग कि दिल्ली में हुई बैठक में मोदी ने जिस आत्मविश्वास से देश से जुडे हुए मसलों पर प्रधानमंत्री और केन्द्र सरकार से नज़र मिलाकर बात की है देश में उससे बहुत अच्छा संकेत गया है। २१वी सदी के भारत और इसके सम्मान के बारे में सोचने वाले हर भारतीय के लिए अब मोदी एक प्रतीक बनते जा रहे हैं । इस चुनाव में मोदी का रास्ता रोकने के लिए उनकी पार्टी के अन्दर भी कई लोग खड़े हुए लेकिन ईससे मोदी का आत्मविश्वास नहीं डिगा और शायद मोदी कि यही छवि अब उन्हें गुजरात के अलावा पूरे देश में लोकप्रिय बनाती जा रही है। गुजरात में विपक्षी कांग्रेस तो मोदी के कद का कोई नेता भी नहीं दे सकी, मुद्दों कि बात ही छोड़ दीजिए।

रही विचारधारा कि बात तो अब मोदी ही अकेले ऐसे नेता दिख रहे है जो देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रहे आतंकवाद के खिलाफ खुलकर बोलने कि हिम्मत कर रहे है। बाक़ी तो सारे लोग जनता को या तो डराने का काम कर रहे है या फिर हमलों के बाद निंदा करने का। मोदी ने गुजरात में आतंकवाद पर लगाम लगा कर दिखाया है कि आतंकवाद को हराया जा सकता है, दबाया जा सकता है। जब पूरा देश आतंकवादियों से आजिज आ चुका होगा तब सभी मोदी की ओर ही देखेंगे।...

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