Tuesday 11 December 2007

'भाजपा का आत्मविश्वास लौट रहा है'

गुजरात में प्रथम चरण के चुनाव से महज १८ घंटे पूर्व भाजपा के सारे दिग्गज मीडिया के सामने आये और एक सुर से प्रधानमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार के लिए आडवाणी जी का नाम घोषित कर दिया। इसी के साथ अब ये मान लिया जाना चाहिऐ की भाजपा में वाजपेयी युग का अंत हो गया। अब कमान आडवाणी जी के हाथ में होगी. आडवाणी जी अब भाजपा का चेहरा होंगे। केन्द्र की सत्ता से बहा होने के तीन सालों भाजपा ने आडवाणी जी को अपना नेता घोषित कर साहस का परिचय दिया है। अब तक भाजपा उन्हें आगे करने में अपने सहयोगी दलों के कारण डर रही थी। जाहिर है भाजपा ने अब इस डर से खुद को मुक्त कर लिया है।

१८० सीटें लेकर भाजपा जब १९९८ में सत्ता में आई थी तब से लेकर सत्ता से बाहर आने तक भाजपा सहयोगी दलों के हाथों में खेलती रही। वाजपेयी जी को पीएम के रूप में देखने की चाहत रखने वाले लोगों को उनके लचीलेपन से काफी निराशा हुई थी। भाजपा ने सरकार चलाने के लिए मुख्य मसलों को भुला दिया। लेकिन आज आडवाणी की ताजपोशी भाजपा के लौटते आत्मविश्वास का संकेत है। वैसे भी गुजरात के चुनाव में भाजपा पूरे आत्मविश्वास से उतर रही है। उसे उम्मीद है की गुजरात में फिर से उसकी सरकार बनेगी। भाजपा को ही नहीं उसकी विचारधारा से ताल्लुक रखने वाले लोगों को भी उम्मीद है की अगले साल होने वाले लोक सभा चुनाव के पहले भाजपा फिर से उन मुद्दों को उठाने का साहस कर लेगी जिन्हें सत्ता के लिए उसने पिछली बार भुला दिया था। देखते हैं आडवाणी जी की अगुवाई में भाजपा भारत के बहुसंख्यक समुदाय के लिए आवाज बुलंद करने का कितना साहस बटोरे पाती है? ये जरूर होगा की सहयोगी दल फिर से रुकावट डालेंगे। लेकिन ऊससे क्या फर्क पड़ता है। आप आगे तो बढो बाकि लोग साथ होते जायेंगे।