Monday 26 November 2007

कोई तो बताये तस्लीमा की गलती क्या है?

दो मामले आजकल मीडिया में खूब चर्चा का विषय बने हुए हैं। एक तसलीमा नसरीन और दूसरी सउदी अरब की वो लड़की जिसके साथ बलात्कार हुआ और अदालत ने ये कहते हुए उसे २०० कोड़े मारने कि सजा सुना दी कि उस समय वो कार में ऐसे आदमी के साथ बैठी थी जो उसका रिश्तेदार नहीं था। ये दोनो खबरें एक ही समाज से जुडी हुई है। बस फर्क ये है कि एक समाज के ऊपर एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का दबाव(?) है और दूसरा २१ वी सदी में भी बेधरक अपने मध्यकालीन कानून लागू कर रहा है.

पहले आते हैं तस्लीमा वाली खबर पर। तस्लीमा का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि उसकी लेखनी इस्लाम के लिए खतरनाक है। लज्जा नमक जिस किताब का जिक्र हो रहा है उसमे तस्लीमा ने इस्लामी समाज में परदे के नीचे दबा दी गयी बातों की तह उघारने का प्रयास किया गया है। अगर समाज में हो रही किसी गलत बात को कोई सामने ला रहा है तो वो गलत कहाँ से है। ये कोई नयी बात नहीं है जब भी समाज में व्याप्त किसी बुराई के खिलाफ कलम चली है तब उसे रोकने का प्रयास हुआ है। चाहे १६वि समाज का यूरोप रहा हो, या भारत का हिन्दू समाज ही क्यों ना रहा हो, सभी समाजो ने अपनी बुराइयों को चर्चा से बचाने का हमेशा प्रयास किया है। जो लोग तलिमा के किताब का विरोध कर रहें हैं वे लोग ही मकबूल फ़िदा हुसैन कि पेंटिंग जलाने वालों की आलोचना करते हैं। जबकि हुसैन कि पेंटिंग में बुराइयों को सामने लाने का कोई प्रयास न होकर ओछी बाते ज्यादा होती हैं। तस्लीमा का मामला भारत के बुद्धिजीवी तबके के लिए अब अस्तित्व कि लड़ाई है। अगर आज ये कट्टरपंथी जीतते हैं तो ये कल हर काम पर पाबन्दी के लिए यही तरीका अपनाएंगे । सभी धर्मों के प्रगतिवादी लोगों को आगे आकर इस मामले पर तस्लीमा का साथ देना चाहिए। कट्टरवाद किसी भी धर्मं में हो उसका विरोध होना चाहिऐ।

अब आते हैं दूसरी खबर पर। सउदी अरब की एक खबर आजकल पश्चिमी मीडिया में खूब छाई हुई है। बलात्कार की शिकार एक लड़की ko वहाँ कि अदालत ने 200 कोड़े मारने के आदेश दिए हैं। अब ज़रा आप भी सुनिए क्या कारण है इस आदेश का। लड़की अपने किसी साथी के साथ कार में कही जा रही थी, रास्ते में ७ लोगों ने कार रुकवाकर उसके साथ बलात्कार किया। अदालत ने बलात्कारियों के साथ-साथ लड़की को भी सजा सुना दी। अदालत का कहना था लड़की एक ऐसे आदमी के साथ कार में घूम रही थी जो उसका रिश्तेदार नहीं था। यही उसके सजा का कारण है।

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