Monday, 12 November 2007

औरतों से ज्यादती में भारत है टॉप- १०!

भले ही हम कई साल महिला सशक्तिकरण के नाम पर मना ले, और mahilawon के kalyan के नाम पर roj नए sarkari karyakram देखते hon, लेकिन स्थिति सुधरने में अभी भी वक्त लगने वाला है। कुछ यही सामने आया है वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम कि 'गेप इंडेक्स रिपोर्ट' में। इस रिपोर्ट कि माने तो भारत आर्थिक मामलों में, महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा भेदभाव करने वाले 10 मुल्कों में शामिल है। यही आर्थिक, राजनीतिक, शिक्षा और स्वास्थ्य में समानता के मामले में भारत 128 देशों में 114 वें नंबर पर है।

महिलाओं को आर्थिक मसलों में भागीदारी और मौके देने के मामले में तो स्थिति और भी खराब है। इसमें भारत १२२वे नंबर पर है। इस इंडेक्स में भारत से नीचे बहरीन, कैमरुन, इरान, ओमान, टर्की, सऊदी अरब, नेपाल, पाकिस्तान का नाम है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और फ्रांस भारत से बहुत बेहतर स्थिति में हैं। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ५९.4 फीसदी महिला-पुरुष के बीच समानता है। जबकि आर्थिक मसलों पर भागीदारी और मौके देने के मामले में यह समानता घटकर ३९.8 फीसदी हो गई है। आर्थिक मामलों में इतने बुरे हालात के बावजूद राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में भारत 21 वें नंबर पर है। 106 महिलाएं संसद में हैं, 118 मंत्री पद पर हैं और कई राज्यों की प्रमुख महिलाएं हैं। आर्थिक समानता इंडेक्स निर्धारित करने के लिए चार पैमाने रखे गए। नौकरी में हिस्सेदारी, समान काम के लिए मिलने वाला वेतन, कानून बनाने में भागीदारी, उच्च अधिकारी, मैनेजर और तकनीकी कर्मचारी। समान काम के लिए समान वेतन देने के मामले में भारत की स्थिति बेहतर हैं। 128 देशों में भारत का नंबर 59 वां है। महिलाओं को आर्थिक हिस्सेदारी और मौके देने के मामले में मोजांबीक सबसे बेहतर स्थिति में है। यहां ७९.7 फीसदी जेंडर इक्वेलिटी है। इसके बाद फिलिपीन, घाना और तंजानिया का नंबर आता है।

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