Friday 2 November 2007

अनंत सिंह- लालू राज से नीतिश राज का सफर

हाल के कुछ सालों में अनंत सिंह के बारे में बहुत कुछ देखा-सुना । यही कोई दो-तीन साल पहले ए-के ४७ लेकर नाचते टीवी चैनलों ने दिखाया था । तबसे अनंत सिंह का कद बढता गया है, बिहार में। सच में देखा जाये तो अनंत सिंह को बिहार के वर्तमान सरकार नीतिश कुमार का छोटा सरकार यूं ही नही कहा जाता । बिहार और देश कि राजनीति में जैसे-जैसे नीतिश का कद-बढता गया अनंत सिंह भी तेज़ी से बिहार कि राजनितिक पटल पर छाते गए। हमने जब पहली बार अनंत सिंह के बारे में सूना तो ज्यादा वक्त नही लगा समझने में कि किस प्रजाति कि हस्ती होंगे भाई साहब । बिहार कि उस पीढ़ी के लिए ये मुश्किल काम नही है, जो शहाबुद्दीन, आनंद मोहन और पप्पू यादव को देखते हुए बड़ा हुआ है।

अनंत सिंह ने मीडिया वालों को पित्वाया , इस पर कोई हैरानी नही हुई। कारन कि अनंत सिंह से जो इससे अच्छे व्यवहार कि उम्मीद करे वो पागल ही कहा जाएगा। लेकिन अपने लालू जी ने मौका नही गवान्या । कहने लगे नीतिश राज में कुशासन है। अब लालू जी ऐसा तो है नही कि आप के सारे लोग दूध के धुले हैं, अब अपने दोनो साले साहब लोगों को ही देख लीजिये। ये भी नही है कि अनंत सिंह नीतिश राज में ही आगे बढे हैं। उनका ज्यादा अपराध तो लालू राज में ही हुआ था । अब आप उस समय क्यों नही काबू किये। करते भी कैसे, पहले अपने लोगों को भी तो बंद करना पड़ता।

1 comment:

Srijan Shilpi said...

सही है। इस बार तो मामला पत्रकारों की पिटाई का था तो अनंत सिंह क़ानून के घेरे में आ गये।

बिहार में वह दौर आने में लंबा वक्त लगेगा जब कोई मुख्यमंत्री बगैर किसी बाहुबली का सहारा लिए सत्ता में आने या उसे कायम रख पाने में कामयाब हो पाए।

शेष भारत में भले ही राजनीति का अपराधीकरण हुआ हो, लेकिन बिहार और यूपी में तो अपराध का राजनीतिकरण हुआ है।

ऐसा लगता है कि बिहार के अपराधियों पर नकेल तभी कसी जा सकेगी जब कुछ पत्रकार अपनी शहादत देने के लिए माथे पर कफन बांध लें।