Tuesday 23 December 2008

क्या आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति में शामिल है...

मुंबई में आतंकी हमलों के लगभग १ महीने होने जा रहे हैं. इस बीच इस मामले की जांच और कार्रवाई के नाम पर कहीं कुछ भी होता हुआ नजर नहीं आया. ये पूरा महीना इसी में निकल गया- भारत कहता रहा कि पाकिस्तान को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी और दूसरी ओर पाकिस्तान लगातार ये कहता रहा कि उसे सबूत नहीं मिले हैं. पूरा महीना भारत की ओर से धैर्य दिखाने और पाकिस्तान की ओर से बेशर्मी दिखाने में गुजर गया. बीच-बीच में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के नेता भी इस नाटक में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे और बयानबाजी कर ख़बरों में छाते रहे। लेकिन खुलेआम आतंकवादियों को बचाने में लगे पाकिस्तान को कोई भी ये नहीं कह पाया कि भारत पाकिस्तान से दुश्मनी की बात नहीं कर रहा है बल्कि भारत उन आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहा है जिन्होंने मुंबई में घुसकर निर्दोष लोगों को मारने की योजना बनाई. अब केवल योजना बनाने वालों को ही सजा दी जा सकती है क्यूंकि इस योजना को अंजाम देने वाले तो पहले ही मारे गए और एक आतंकी भारत की जेल में है।

पाकिस्तान की मीडिया में इस ख़बर के आने के बाद भी कि एकमात्र जिन्दा पकड़ा गया आतंकी पाकिस्तान के फरीदकोट गाँव का है वहां के सियासतदान बेशर्मी से इसे नकार रहे हैं. जब विपक्ष के नेता नवाज शरीफ ने कहा कि कसब पाकिस्तान का है तो वहां की सूचना मंत्री ने कहा कि इस मामले पर पाकिस्तान के सभी दलों को एकता दिखानी चाहिए. अब भला सूचना मंत्री से पूछा जाना चाहिए कि क्या वो आतंकवादियों की हिमायत में पाकिस्तान की एकता की बात कर रही हैं या फ़िर वहां आतंकवाद सरकारी नीति में शामिल है. ये बात अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान से साफ़ शब्दों में पूछना चाहिए. अमेरिका और तमाम पश्चिमी देशों के जो नेता ये कहते हुए रोज दौरे पर आ रहे हैं कि उनका प्रयास भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करना है. लेकिन कोई इनसे सवाल पूछे कि आख़िर इस तरह कैसे तनाव कम होगा. अगर तनाव को कम ही करना ही है तो विश्व को पाकिस्तान पर आर्थिक और अन्य तरह से लगाम लगानी चाहिए ताकि वो अपनी गलती को मानने को मजबूर हो जाए। पाकिस्तान को हथियार बेचने वाले देशों को भी अपने व्यापार से ज्यादा इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे पाकिस्तान को आतंकवादी पैदा करने वाला देश बनने से रोका जाए. पाकिस्तान को इस बात के लिए मजबूर किया जाए कि वो आतंकवाद का व्यापार बंद कर रोजी-रोटी के लिए कोई और पेशा चुने...और भारत को भी अब धैर्य का रास्ता छोड़ पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए तैयार होना पड़ेगा. वरना ऐसे ही पाकिस्तान के लोग पैसे के लिए फिदायीन बनते रहेंगे और भारत पर आतंकी हमले होते रहेंगे...

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