Tuesday 2 December 2008

मुंबई धमाकों से उभरे हुए सूरमा...

मुंबई में हाल में हुए हमलों ने देश के लिए जितना भी नुकसानदायक रहा हो लेकिन कुछ लोगों को लगातार ख़बरों की सुर्खियों में बनाए रहा। मुंबई धमाकों के बाद देश में जैसी प्रतिक्रिया हुई है उसने राजनीतिक बिरादरी को हिला कर रख दिया है। हालांकि अब भी देश की अधिकांश जनता इस समस्या के प्रति बिमुख बनी हुई है. लेकिन किसी भी लडाई में कुछ ही लोग आगे रहते हैं. अगर कुछ लोग मुंबई में आतंकी हमलों के बाद आतंक पर कड़ी करवाई न करने के लिए नेताओं को जिम्मेदार मान कर चेत जाने की बात कर रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है. राजनीती के लिए ही लेकिन विरोध करने वाले लोगों के विरोध को हवा दी जा रही है. इसमें बुरे कुछ नहीं है अगर देश की जनता अपनी सुरक्ष और अपने अधिकारों के खड़ी नहीं होगी तो राजनीतिक बिरादरी उसके लिए कभी भी मुखर नहीं होगी. हा ये बात हमारे कुछ राजनीतिज्ञों को जरूर चुभ रही है.

जनता द्वारा अपने अधिकारों के लिए खड़े होने पर सबसे ज्यादा भड़के भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी। मुंबई में मारे गए लोगों और शहीद हुए जवानों को श्रधांजलि देने के लिए जमा हुए लोग नकवी जी की आंखों में चुभे और नकवी जी ने कहा कि जो लोग राजनेताओं का विरोध कर रहे हैं वे लोकतंत्र के दुश्मन हैं और उनका किसी न किसी से सम्बन्ध होगा। उन्होंने कहा कि इन सब की जाँच होनी चाहिए और पता करना चाहिए कि ये किनके लोग हैं. नकवी जी ने आगे कहा कि ये सारा नाटक पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित है और लिपिस्टिक लगाने वाली औरतें ऐसा कर रही हैं. नकवी जी ने जो भी कहा तुंरत भाजपा ने उससे किनारा कर लिया। पार्टी प्रवक्ता ने तुंरत कहा कि जो भी नकवी जी ने कहा वो उनका अपना मत है.

दूसरे दिग्विजयी बने केरल के मुख्यमंत्री। शहीद मेजर संदीप उनिकृष्णन के घर पर राजनीति करने आने वाले नेताओं के कारन संदीप के पिता ने उनसे मिलने से मना कर दिया। मुख्यमंत्री महोदय ने कह दिया कि अगर ये शहीद न होते तो यहाँ कुत्ता भी नहीं आता.

मुंबई हमलों की भेंट चढ़े पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल जी को तो अभी लोग नहीं ही भूले होंगे। अभी हाल ही तक उनपर देश के आतंरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी थी. उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया भी. जब भी देश में कहीं कोई हमला हुआ उन्होंने लोगों को सांत्वना देने के लिए दार्शनिक अंदाज में भाषण दिया. लोग उनकी महानता को नहीं समझ पाये और मीडिया वालों ने तो अति ही कर दी. उनके पदनाम के साथ जबतक भूतपूर्व नहीं लगवा दिया चैन से नहीं बैठे.

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री आर आर पाटिल जो की पिछले कुछ दिनों से कुछ ज्यादा ही गदा भांज रहे थे को भी मुंबई धमाकों ने ठिकाने लगा दिया. बाहरियों के ख़िलाफ़ राज ठाकरे द्वारा चलाये जा रहे रहे अभियान को समर्थन देने वाले आर आर पाटिल ने मुंबई में हुए धमाकों और हमलों के बाद कहा कि मुंबई एक बहुत बड़ा शहर है और बड़ी-बड़ी शहरों में छोटी-छोटी घटनाएँ होती रहती है. मतलब की जिस घटना की प्रतिक्रिया पूरी दुनिया में हुई है वो घटना गृहमंत्री और उपमुख्यमंत्री जैसे गंभीर पद पर बैठे हुए शक्श को मामूली लग रहा है. जिस राज्य के वे गृहमंत्री हैं उसकी राजधानी में आतंकी आए सरेआम उन्होंने लोगों पर गोलिया बरसाई और बड़े-बड़े होटलों में बंधक बना लिया और जिन्हें काबू करने के लिए देश भर से सैकड़ों सेना के जवान और कमांडो बुलाये गए जिन्होंने ६० घंटे की लड़ाई के बाद कई लोगों की जान खोकर आतंक का खत्म किया. वही पाटिल जी को छोटी घटना लग रही थी. पाटिल जी ऐसी गलती उनपर भारी परी. उन्हें पद छोड़ना पड़ा. अब वे न तो गृह मंत्री हैं और न उप मुख्यमंत्री. अब शायद केवल विधायक के रूप में सोचने पर उन्हें मामले की गंभीरता का अहसास हो.

1 comment:

PD said...

सही कहा..