Tuesday 23 December 2008

वाइन, चाकलेट से दिमाग हमेशा रहता है तेज?

एक ख़बर देखकर मन में कई सवाल उठे। ख़बर थी- वाइन, चाकलेट और चाय के शौकीनों को ज्यादा मन मसोसने की जरूरत नहीं। हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध में इन सभी चीजों को मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाने में मददगार पाया गया है। अक्सर इस तरह के शोध के परिणाम अख़बारों में छपते रहते हैं। मन में एक सवाल उठा कि क्या वैज्ञानिकों के पास काम का इतना अकाल है कि उनको इस तरह की बकवास बातों को साबित करने में अपनी एनर्जी खपानी पड़ रही है. वैज्ञानिक किस आधार पर ये परिणाम दे रहे हैं ये तो मुझे नहीं मालूम लेकिन जहाँ तक मैंने दुनिया देखी है उसमें तो ऐसा नहीं होते देखा है। चाय-काफ्फी तक तो ठीक है, चाकलेट तक भी ठीक है लेकिन अगर कोई ये कहे कि दारु दिमाग बढ़ने में सहायक है तो मैंने तो अबतक ऐसा नहीं देखा है.

मैंने अपने आस-पास काफ़ी बड़ी संख्या में लोगों को शराब पीते हुए देखा है वाकई चढ़ने के बाद कइयो का दिमाग तेज काम करने लगता है। मेरे एक परिचित जो कि आम तौर पर हिन्दी में बात करते हैं शराब पीने के बाद अक्सर अंग्रेजी में बात करने लगते हैं. इसी तरह मेरे एक अन्य मित्र कहते हैं कि शराब पीने के बाद उनका कांफिडेंस बढ़ जाता है. लेकिन कई लोगों के साथ शराब कुछ अलग असर भी दिखाता है. पीने के बाद कई तो सड़क किनारे गड्ढे में पड़े हुए मिलते हैं. हो सकता है कि जिन वैज्ञानिकों ने शोध किया हो उनके पास प्रयोग के लिए लाइ गई शराब में कुछ ऐसा तत्व हो जो अलग परिणाम दे लेकिन सबको तो इस तरह का अद्भुत शराब मिल नहीं सकता. उन वैज्ञानिकों के लिए मैं एक जानकारी देना चाहूँगा कि हमारे देश में हर साल सैकड़ों लोग जहरीली शराब पीकर मर भी जाते हैं और इससे भी कई गुना ज्यादा लोग शराब पीकर अपनी जिंदगी, अपना परिवार सबकुछ बर्बाद कर लेते हैं. उन्हें भी इन वैज्ञानिकों के शोध से कुछ फायदा हो सकता है.

हमारे देश में शराब, सिगरेट, गुटखा आदि का सेवन एक बुरी आदत के रूप में मानी जाती है। लेकिन इसपर रोक नहीं है। देश में इन चीजों की खुलेआम बिक्री होती है. शराब की बिक्री के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए जाते है. अपने देश में कई सारे ड्राई डे तय किए हैं. अब ये कितने कारगर होते हैं ये बता पाना तो मुश्किल है. क्यूंकि अगर मुझे शराब पीना है और मालूम है कि कल ड्राई डे है तो मैं अपना जुगाड़ आज ही कर लूँगा. ये भी व्यवस्था से निकला हुआ उपाय है. इसके आलावा पिछले दिनों सार्वजानिक स्थानों पर धुम्रपान करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया. लेकिन इसके उत्पादन पर किसी भी तरह का प्रतिबन्ध नहीं है. अगर सरकार इसे ग़लत मानती है तो इसके उत्पादन पर भी लगाम लगानी चाहिए. इसके बिना इसपर रोक का नाटक बेमानी है और केवल ख़ुद को धोका देने जैसी बात है.

जाहीर है ऐसे हालत में शोध करने वाले वैज्ञानिकों का मार्केट बढ़ जाएगा. अगर इन चीजों को प्रतिबंधित किया जा रहा है और वैज्ञानिक कहे कि इन चीजों के इस्तेमाल से दिमाग तेज होता है तो जाहीर है पीने वालों को अपने समर्थन में कुछ कहने को मिल जाएगा. फ़िर तो ये लोग कह पाएंगे कि शराब वगैरह का सेवन आज कि दुनिया में बहुत जरूरी है. ज्ञान आधारित दुनिया में सर्वाइव करने के लिए दिमाग बढ़ाना जरूरी है और ये तभी हो पायेगा जब शराब का सेवन किया जाएगा. दुनिया भर में इस खोज का समर्थ करने वाले इतने मिल जायेंगे कि मजबूरन इन वैज्ञानिकों को नोबल पुरस्कार देना पड़ जाएगा.

1 comment:

Prakash Badal said...

भाई साहब वैज्ञानिकों ने शराब पीने से दिमाग बढने की बात की होगी लेकिन भारत में तो ज़रूरत से ज़्यादा शराब पी जाती है। आपको जो लोग नालियों में पड़े मिले होंगे वे लोग वही हैं जो ज़रूरत से ज़्यादा शराब पीते हैं। अगर आप शराब को नियमित रूप से सोते समय पीयें तो ज़ाहिर है आपको नींद अच्छी आएगी और आप सवेरे जब उठेंगे तो आप फ्रैश होंगे। और आपने देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति डिप्रैशन में होता है तो उसे कुछ ऐसी दवाएं दी जाती हैं जिसमें शराब जैसी नशीली चीज़ों का ही मेल होता है और रोगियों के लिए यह लाभकारी होती हैं और आपने अंग्रेज़ी में एक कहावत तो सुनी ही होगी" एक्सैस ऑफ एवरी थिंग इज़ बैड तो हिन्दुस्तानियों को ये कहावत समझ नहीं आती इसीलिए तो शराब प्रतिबंध तो लगना ही था। लेकिन अगर दवा के रूप में अगर शराब पी जाए तो वाकेई दिमाग के लिए लाभकारी हो सकती है। अंत में एक बात आपको राज़ की बता दूं कि मैं ख़ुद शराब नहीं पीता।