अब आप ये मत पूछिये कि ये नटवरलालजी कौन थे। नटवरलालजी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. नटवरलालजी की गिनती हमारे देश के प्रमुख ठगों में होती है। बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गाँव में जन्में नटवरलालजी ने अपने करिश्माई दिमाग की बदौलत से वर्षों तक बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली की सरकारों को परेशान रखा। अब इनके किस्से सुनाने लगूंगा तो बहुत समय लग जायेगा. इनके बारे में बस इतना जान लीजिये कि इन्होने कभी हथियार नहीं उठाया और अहिंसा के रस्ते पर चलते हुए इन्होने ठगी के बड़े-बड़े रिकॉर्ड बनाये. छोटे-छोटे सौदों से लेकर इन्होने कइयो को ताजमहल तक बेचा. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि वे देश के एक ऐसे रतन थे जिनकी काबिलियत को कभी देश ने पहचाना नहीं वरना आज उनका नाम देश के महान लोगों में शुमार होता. नटवरलालजी ने भी कभी मोह-माया को गले नहीं लगाया नहीं तो आज उनका नाम देश के चमकते हुए राजनीतिक सितारों में जरूर शामिल होता. अब नटवरलालजी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि उनकी सोच मर गई है. नई पीढी ने अपना काम संभाल लिया है और उनके पदचिन्हों पर चलकर देश और समाज में अपना नाम कर रही है.
.
अजी अब भी नहीं समझे। यही तो कमी है अपने देश में. महान लोगों को समझने में देर करते हैं हम अक्सर. हालाँकि देश में ऐसे लोगों की कमी भी नहीं है जिन्होंने इन महानुभावों की कदर पहले ही समझ ली थी लेकिन ये अलग बात है कि उन्होंने सबको इनके बारे में बताया नहीं था. अब देखो न हमें अब जाकर पता चल रहा है कि अपने देश में अशोक जडेजा जी, सुभाष अगरवाल जी, रणवीर सिंह खर्ब जी, बालकिशन मलिक जी, गुरमीत सिंह जी और नवीन शर्मा जी जैसे लोग भी रहते हैं. जिन्होंने देश को विकसित बनाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. इन्होने नटवरलालजी के नक्शेकदम पर चलते हुए अहिंसा का दामन कभी नहीं छोडा और पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब के कहे अनुसार लोगों के सपने की उड़ान को पंख देने के लिए अपना भेजा खपाया. अब आप ही बताओ अपने देश में है कोई सिस्टम जो लोगों को उनकी राशि चंद महीनों में दुगुना और तिगुना करने की जहमत उठता. लेकिन इन लोगों ने अपना फर्ज पूरा किया और ऐसे-ऐसे स्कीम बनाये जिनमे लोगों ने जमकर पैसे लगाये और वो भी ऐसे कि पड़ोसी तक को कानो-कान खबर न हो. देश में बेरोजगारी की समस्या को ख़त्म करने के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इन महान लोगों ने अपने एजेंट भर्ती किये ताकि देश के लोगों को रोजगार मिल सके. इन एजेंटों ने भी इन्हें निराश नहीं किया. एक-एक महाठग भाई लोगों ने कुछ ही महीनो के अन्दर ३००-४०० करोड़ तक के स्कीम बेच डाले.
.
लेकिन इसे कहते हैं देश की ख़राब किस्मत. अब इनपर भरोसा करने वाले लोग थोडी जल्दबाजी कर गए वरना इन लोगों ने देश के लिए काफी कुछ सोच रखा था. जिस रफ्तार से ये देश का पैसा दो-गुना--चौगुना कर रहे थे उस हिसाब से २०२० तो बहुत देर था अगले कुछ सालों में ही देश महाशक्ति बन जाता और ये जो आमिर बने घूमते हैं न पश्चिमी देश वहां के आर्थिक विशेषग्य भारत भ्रमण पर आने लगते यहाँ के ठग बिरादरी की आर्थिक नीतियों के अध्ययन के लिए. हम थोडी सी हड़बड़ी के कारण विकसित बनने के इस मौके से चूक गए...
2 comments:
चलो इस बहाने नटवरलाल जी की याद तो आई. वैसे असल दोष तो उन लोगों का है जो इनके झांसे में आ जाते है वरना लाखो-करोडो गवाने के बाद तोड़-फोड़ करने की नौबत नहीं आती.
पोस्ट पर बहकते माउस ने विवश कर दिया.
Post a Comment