हमारे यहाँ कोई न कोई दिवस मनाने का चलन बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। अभी-अभी दुनिया ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया है. इस दिन अपने एक मित्र की पर्यावरण के प्रति चिंता देखकर लगा कि दुनिया वाकई बहुत ही संजीदा हो गयी है. सुबह ऑफिस में अपने एक मित्र को लाइट और कंप्यूटर ऑफ करते देखा तो मुझे कुछ अजीब सा लगा. मेरे पूछने पर उनका जवाब था कि भाई कम से कम आज तो बिजली बचा लिया जाये. मेरे लिए ये थोडी नई बात थी. इससे पहले कभी नहीं देखा था मैंने उन्हें इस तरह संजीदा होते हुए. रोज मजे में रौशनी और कंप्यूटर की रंगीनियत का फायदा उठाने वाले मेरे मित्र को अचानक क्या हो गया यही सोचते हुए मैंने ऑफिस से बाहर नज़र डाली तो एक दूसरे मित्र पर नज़र गयी. हमेशा बाइक से ऑफिस पधारने वाले मेरे एक ये मित्र को पैदल चले आ रहे थे. मैंने पूछ डाला- क्या हुआ भाई बाइक ख़राब हो गयी क्या. उन्होंने कहा भाई आज विश्व पर्यावरण दिवस है और इसलिए मैं बस से आया हूँ.
ये बस एक दिन के लिए था और अगले दिन से फिर मेरे दोनों मित्र अपने पुराने अंदाज में आ गए. मैं फिर इंतजार में हूँ कब अगले साल ये दिन आये और इन्हें फिर से पर्यावरण की चिंता हो...
4 comments:
ये गुण हममे पैदाईशी है. हमें दिखावे ज्यादा पसंद है इसलिए हम अपने समाज को बदल नहीं पाए. साल में एक दिन हम वही करते है जो टीवी पर दिखाया जाता है और बाकी ३६४ दिन ठीक उसके उल्टे.
भाई सप्ताह मै एक दिन सफ़ाई दिन भी होता है, क्य इसे भी कोई मनाता है, उस दिन स्कूल के बच्चे, बडे अपने रास्ते मै पडे हुये कुडे को उठाते है
सही कहा..दिन गया..रात गई..बात गई.
ये दिवस तो सिर्फ औपचारिकता भर रह गए है !
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