Friday 15 May 2009

'स्लमडॉग' अजहरुद्दीन और मिलिनेअर फ्रीडा पिंटो!

हाल ही में एक फिल्म आई थी 'स्लमडॉग मिलिनेअर'। एक चाय वाले के करोड़पति बनने की अविश्वश्नीय लेकिन दर्दभरी दास्ताँ। फिल्म में देशी-विदेशी क्रियेटिव महारथियों का जमावाडा था. ब्रिटिश डायरेक्टर, भारतीय संगीत निर्देशक और फ्रेंच डीजे के तडके के बीच गरीबी की ऐसी जबरदस्त मार्केटिंग की गई कि फिल्म ने दुनिया भर में अपना डंका बजा दिया. फिल्म ने ८ ऑस्कर जीते और चमचमाते भारतीय सिनेमा जगत ने इसे अपनी सफलता के रूप में प्रचारित किया. फिल्म ने जबरदस्त कारोबार किया॥एक रिपोर्ट के अनुसार फिल्म अब तक 32 करोड़ डॉलर से ज्यादा की कमाई कर चुकी है।

इस फिल्म से जुडी दो खबरें आज पढने को मिली। दोनों खबरें इस फिल्म से जुड़े कलाकारों से जुडी हैं। पहली खबर फिल्म की हीरोइन फ्रीडा पिंटो से जुड़ी हुई है. इस फिल्म की अपार सफलता ने फ्रीडा को अचानक लाइम लाईट में ला दिया. फ्रीडा आज के वक्त में हॉलीवुड के मंहगे सितारों में शामिल हो चुकी है. फ्रीडा के खाते में आज एक और सफलता जुड़ गई. मशहूर फैशन पत्रिका 'मैक्सिम' की दुनिया के १०० हॉट स्टार्स की लिस्ट आई है और फ्रीडा ने ४९वे स्थान पर जगह बनाई है. इतना ही नहीं मैक्सिम के मार्च के इंडियन संस्करण के कवर पर भी फ्रीडा दिखेंगी. मतलब सफलता आज फ्रीडा के कदम चूम रही है।

इसी फिल्म में एक बाल कलाकार अजहरुद्दीन इस्माइल एम। शेख ने भी काम किया था। झुग्गी का रहने वाला अजहरुद्दीन आज भी वही रहता है उसकी लाइफ स्लम से शुरू हुई थी और आज भी वही पल रही है. स्टारडम ने उसे झुग्गी से नहीं निकाला. फिल्म की अब तक की कमाई अरबो डॉलर भले ही हो लेकिन इससे अजहरुद्दीन की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता. इतना ही नहीं आज हुई एक घटना ने अजहरुद्दीन को झुग्गी से भी निकाल बाहर कर दिया. मुंबई में गुरुवार सुबह वृहन मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम)द्वारा करीब 50 झोपड़ियां ढहा दिए गए. इसमें अजहरुद्दीन की झुग्गी भी थी. मीडिया को जैसे ही भनक मिली दौड़ पड़े टूटी हुई झुग्गी की ओर. मीडिया को मसाला मिल गया था. अजहर ने जो मीडिया को बताया वो गौर करने वाली बात है, अजहर ने बताया---"उसके पास रहने को अब कोई ठिकाना नहीं। हम चिलचिलाती धूप में सड़क पर बैठे हैं। हमारा सारा सामान या तो फेंक दिया गया है या फिर नष्ट हो गया है। हम नहीं जानते आज हमारा पेट कैसे भरेगा। नहीं मालूम कि शाम को मैं क्या खाऊँगा और कहाँ सोऊँगा." फिल्म की सफलता के बाद इन बाल कलाकारों को घर देने की घोषणा की गई थी जाहिर है अगर घर मिल गया होता तो ये झुग्गी में क्या करते...

फ़िल्मी स्लमडॉग को मिलिनेअर बनाकर 'स्लमडॉग मिलिनेअर' जरूर बिलिनेयर बन गया लेकिन इससे स्लम की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा. हाँ पुलिस ने जरूर स्लम ख़त्म कर गरीबी मिटाओ, नहीं-नहीं सॉरी "गरीबों को मिटाओ" का अपना वादा पूरा किया है...

2 comments:

Anonymous said...

Sandeep ji aapka blog padne ke baad zindgi ke do pehlu dekne ko mile ..ek hi jagh se appni zindgi ki shuruwat karne wale do shaks..ek ko appna assman mil gaya, toh ek appne liye ek zammeen ko hi tarash raha hai..Sach mein appne do alag-alag kahani ko ek hi aaine se dekhane ki ek acche kosis ki hai. jo kabil-e-tarif hai..

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

देखिए जी, होता वही है जो भाग्य में लिखा होता है और ग़रीबों के भाग्य में सिर्फ़ मिटना लिखा होता है. तो मिटने न दीजिए. आख़िर बसाने के लिए तो हम इटली से महारानी जी को लाए ही है.