Tuesday 12 May 2009

पता नहीं कब छुटकारा मिलेगा इन वोटरों से...

अजी निराश मत होइए अब शुभ मुहूर्त आने ही वाला है। जी मैं १3 मई की बात कर रहा हूँ. जब शाम ५ बजे आखिरी वोटर अपनी ताकत दिखा लेगा और फिर हमारे देश की राजनीतिक बिरादरी जनता-जनार्दन के चंगुल से अगले ५ सालों के लिए(?) आजाद होकर अपने मन की कर सकेगी. अभी तो देश की जनता राजनितिक बिरादरी के लोगों की सारी मनोकामनाओं और इच्छाओं पर कुंडली मारे बैठी है और ऐसे नखरे दिखा रही है कि कुछ भी हमारे मन का गलत किया तो अपने वोट की ताकत दिखाकर ऐसे बटन दबायेंगे की कहीं के नहीं रहोगे. अब ज्यादा दिन की बात नहीं है इसलिए राजनीतिक बिरादरी के लोग इन्हें झेले जा रहे हैं. भाई जितना फुफकारना है १३ मई तक फुफकार लो... फिर हर काम के लिए हमारे घर के चक्कर ही लगाओगे न. फिर दिखायेंगे हम भी अपनी जात. फिर बताएँगे हम अपनी ताकत. एक-एक मुलाकात के लिए नाको चने न चबवा दिए तो फिर नेता नाम नहीं.

मौज-मस्ती से लेकर सब कुछ इस जनता-जनार्दन के बच्चे ने रोक रखा है। लेकिन बेटा कब तक रोकोगे...१३ तक ही न. फिर ५ साल करेंगे हम अपनी मौज-मस्ती. तब देखेंगे कहाँ-कहाँ रोकते हो. तब सिस्टम अपनी होगी, पुलिस-प्रशासन अपना होगा और फिर सरकारी खजाना भी अपना होगा. फिर टांग अड़ा कर देखना- तब बताऊंगा.

अब देखिये नेता जी लोगों ने अपने कितने अरमान चुनाव ख़त्म होने तक के लिए रोक रखे हैं। एक किस्सा चुनाव के दौरान सबसे मशहूर हो गया. देश के एक मशहूर प्रान्त के एक मशहूर सेकुलर नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री जी जी जो अबतक सिर्फ और सिर्फ सेकुलर कहलाना पसंद करते थे...उन्होंने अपने राज्य में चुनाव ख़त्म होने के अगले दिन सेकुलरवाद के सबसे बड़े विरोधी के साथ मंच संभाल लिया और सेकुलरवाद की हवा निकाल दी.इसी तरह अपने रामपुर के शोले इतने तेज भड़क रहे हैं कि हालात बेकाबू हो रहे हैं. ठाकुर और जय की दादागिरी से आहत होकर अपने वीरू भैया ने १३ मई के बाद सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है.इतना ही नहीं लाल बादशाह ने भी अपने पत्ते १६ मई के बाद खोलने की घोषणा कर दी है. ऐसे ही न जाने कितने सपने १३ मई तक के लिए रोक राखी है राजनीतिक लोगों ने जब उन्हें आज़ादी मिलेगी.

सभी दलों के लोग १३ मई को राहत की साँस ले सकेंगे और जनता के चंगुल से बाहर निकल सकेंगे. तब देखना मनाएंगे आज़ादी का जश्न. सड़कों पर ढोल-नगाडे बजेंगे. चहक-कर मजे करेंगे. फिर न तो वोट का डर होगा और न ही चुनाव आयोग जैसे मौसमी समस्याओं का भय. फिर तुम भी आना हमारे जश्न में शामिल होने. भाई भीड़ बढाने के लिए कुछ तो चाहिए ही. हमारी चुनावी सभाओं में भी तुम ही भीड़ बढाने आते थे और अब हमारे जश्न का रंग फीका मत करो और अगर नहीं आये तो याद रखना जब हमसे काम पड़ेगा फिर बताएँगे...

1 comment:

Kumar Swasti Priye said...

दूरदर्शन न्यूज़ के पत्रकार होने के कारण राजनीतिक बिरादरी की ओर आपका झुकाव स्वाभाविक है लेकिन मतदाताओं और नेताओं के चोली-दामन के साथ को आपने बहुत खूबसूरत लहजे में शब्दों के माध्यम से पेश किया है. १३ मई भी दूर नहीं है....और हमें नेताओं की ओर से निमंत्रण भी मिल गया है, तो चलिए दोनों मिल कर "जश्न-ऐ-आज़ादी" में शामिल होने की तैयारी करते हैं. :)