Friday, 9 January 2009

"राजनीति" ऐसी कि सिर शर्म से झुक जाए...

बहुत शान से हम कहते हैं कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दर्जा रखते हैं। इतिहास की किताबों के आधार पर तो हम सबसे पुराने लोकतंत्र होने का भी दावा करते रहते हैं...ईसा के जन्म के आस-पास यानी कि जब बाकी की दुनिया सभ्य भी नहीं हो पाई थी। इसी तमगे के साथ हम ये दावा करते रहते हैं कि हमें कुछ भी करने और कहने का हक़ है। आम आदमी के लिए ऐसा नहीं हैं लेकिन देश के विशिष्ट लोगों(यानि कि नेता बिरादरी के लिए) के लिए ऐसा है। उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त है। वो कुछ भी बोल सकते हैं और कुछ भी कर सकते हैं. यहाँ मैं अपने देश के दो शीर्ष नेताओं के हाल के कारनामों की चर्चा करना चाहूँगा.

एक हैं हमारे गुरूजी। सच कहाँ जाए तो उन्होंने एक राज्य को जन्म दिया. उसकी स्थापना के लिए उनके द्वारा उठाई गई आवाज आखिरकार मान ली गई लेकिन उन्हें सत्ता का मोह छू गया. कई सालों तक जी-तोड़ मेहनत के बाद उन्हें सत्ता तो मिली लेकिन इसके पहले कि वे सत्ता सुख उठा पाते उस राज्य की कृतघ्न जनता ने उन्हें विधायक के पद से भी महरूम कर दिया. अब आप ही बताइये कि जब गुरूजी विधायक ही नहीं रहे तो राज्य का सदर कैसे बने रह सकते थे. क्या गुरूजी को इतना छोटा सम्मान देने लायक भी नहीं समझना चाहिए था. आखिरकार गुरूजी भी उस राज्य कि जनता के गुरु ठहरे. उन्होंने भी कह दिया कि कोई बात नहीं इस हार ने मुझे प्रायश्चित करने को प्रेरित किया है और अब वे दुबारा चुनाव लड़कर ये पूरा करेंगे. अब गुरु तो गुरु ही ठहरे. जिसने उनसे बेवफाई की उसे सबक तो सिखायेंगे ही.

हमारे यहाँ एक ऐसे ही महान नेता हैं। राजनीतिक गलियारे में उन्हें बड़ी तेजी से संकट मोचन के रूप में पहचान मिलती जा रही है. हाल में जब दिल्ली में पुलिस के साथ मुठभेड़ में कुछ आतंकवादी मारे गए तो उस महान नेता ने अपने दौरे में कहा कि पुलिस निर्दोष लोगों को फंसा रही है. पुलिस को पहले जांच करनी चाहिए फ़िर दोषियों को पकड़ना चाहिए. ऐसे ही हाल में नोएडा में एक एमबीए की छात्रा के साथ गैंग रेप होने पर जब स्थानीय लड़के पकड़े गए तो नेताजी वहां के लोगों के समर्थन में प्रदर्शन करने पहुँच गए और कहा कि पुलिस निर्दोष लोगों को सता रही है और दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है.

हम आख़िर कह भी क्या सकते हैं. नेताजी विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति हैं और दुनिया के सबसे बड़े और शायद सबसे पुराने लोकतंत्र के सम्मानित नागरिक भी हैं. अगर उन्होंने कहा है तो सही ही कहा होगा.

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