एक ख़बर छपी थी जिसे देखकर काफ़ी हैरानी हुई। ख़बर इस तरह से थी- इस्राइल की सैन्य कार्रवाई के कारण गाजा में प्रभावित लोगों के लिए भारत 10,00,000 डॉलर (लगभग 4.84 करोड़ रुपये) की सहायता देगा. इतना तक तो ठीक था लेकिन हैरानी वाली बात ये थी कि इसके साथ ये भी छपा था कि भारत ने इस्राइल द्वारा की जा रही कार्रवाई को तुरंत स्थगित करने की मांग की है ताकि शांति प्रक्रिया फिर से शुरू की जा सके। दरअसल फिलिस्तीनी संगठन हमास के खात्मे के लिए इस्राइल की कार्रवाई पर भारत को आपत्ति है. इस लड़ाई में अब तक ४२० लोग मारे जा चुके हैं. भारत को वहां शान्ति प्रक्रिया बहाली की चिंता है. भले ही मुंबई में हमलों के बाद उसने पाकिस्तान के साथ शान्ति प्रक्रिया को रोक दिया हो. भले ही भारत में लगातार आतंकी हमला जारी हो और उसे रोकने के लिए कोई कुछ भी नहीं कर पा रहा हो. लेकिन उसे इस्राइल द्वारा की जा रही कारर्वाई खटक रही है.
अब आइये जरा भारत और इस्राइल की नीति पर गौर किया जाए। मुंबई में आतंकी हमला हुए करीब सवा महीने हो गए हैं. आतंकवादियों ने पहली बार भारत के किसी शहर में इस तरह से मौत का तांडव किया. हर बार की तरह इस बार के हमले के बाद भी हमारे राजनीतिक नेतृत्त्व ने कड़ी कार्रवाई का दम भरा. भारत के समर्थन में अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई अन्य देश बयानबाजी अभियान में लग गए. पाकिस्तान ने किसी का दबाव नहीं माना और तमाम अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबधताओं का वास्ता देने के बावजूद अबतक उसने किसी आतंकी पर कोई कार्रवाई नहीं की. भारत कहता रहा की जिन आतंकियों ने मुंबई हमलों की प्लानिंग की उन्हें सौंप दो. पाकिस्तान कहता रहा कि हम भारत के किसी भी हमले का जवाब देने को तैयार हैं और पाकिस्तान की जनता इस लडाई में सरकार के साथ है. यहाँ तक कि हमले में शामिल एकमात्र आतंकी कसब को पाकिस्तानी मानने से ही उसने इंकार कर दिया. भारत कहता रह गया यहाँ तक कि पाकिस्तान की मीडिया में आई रिपोर्ट को भी वहां दबा दिया गया और अमेरिका समेत तमाम बयानबाज भारत की मांग नहीं मनवा सके. इतने दिन से भारत केवल पाकिस्तान के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है और न तो आतंकी हमले रुके हैं और न आतंकी ठिकानों पर कोई कारर्वाई हुई है. इधर सुना है कि पाकिस्तान के खिलाफ कारवाई करवाने के लिए भारत कि ओर से सबूत दिखाने गृह मंत्री महोदय अमेरिका जा रहे हैं. इन्हे लगता है कि ऐसा करके अमेरिका से पाकिस्तान पर दबाव बनवाएँगे. साल की पहली तारीख को भी जब असम में धमाके हुए तब भारत ने कड़ी कारर्वाई का वादा दोहरा दिया और कहा कि इसमें कुछ स्थानीय आतंकियों का हाथ है और इन्हे बांग्लादेश में पनाह मिल रही है. साथ कि कहा गया कि हमें उम्मीद है कि बांग्लादेश कि सरकार अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगी.
दूसरी तरफ़ आतंकी लोगों के खिलाफ कारर्वाई कर रहे इस्राइल को भी भारत रोकने का प्रयास कर रहा है. मतलब कि भारत चाहता है कि उसी की तरह इस्राइल भी हमेशा मार खाकर दूसरो से बचाने की गुहार करता रहे. इतना ही नहीं जिस अमेरिका को भारत अपना आदर्श मानता है उसने भी ९-११ के बाद आतंकियों के गढ़ में घुसकर ऐसा प्रबंध किया ताकि आतंकी उसके घर तक नहीं घुस सके और अपने मांद में ही मरते-खपते रहें. लेकिन हम्मे बयानबाजी के सिवा कुछ करने कि अगर छमता होती तो हम भी आतंकी हमलों से सुरक्षित होते और पाकिस्तान को ही उसके घर में उलझा कर रखते. वैसे भी अगर भारत चाहे तो पाकिस्तान में इतने सारे मसले है कि वो वहीँ पर उलझा रहेगा और किसी और देश में अशांति फैलाने का कभी प्रयास ही नहीं करेगा. आज शिमला में एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति और मिसाईल मैन कलाम ने भी आतंकी ठिकानों को नष्ट करने पर जोर दिया और कहाँ कि देश के अन्दर और बहार मौजूद आतंकी तत्वों पर हमला करना ही एकमात्र विकल्प है. जाहीर सी बात है कि अगर कोई अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है तो उसके सामने अपना राग गाने का कोई फायदा नहीं है और उसे सबक सिखाना ही होगा. आप ऐसा नहीं कर सकते तो कम से कम दूसरो को कायर बनने को तो मत कहिये...
2 comments:
हम कायर थे, कायर हैं और कब तक रहेंगे यह पता नहीं.. यही सच हमारे नेताओं ने बना दिया है.. स्वीकार कीजिये..
इसको कहते हैं मति भ्रष्ट होना। जब मति भ्रष्ट हो जाती है तो बुद्धि विपरीत हो जाती है; आदमी (सरकार) अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने लगती है।
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