Sunday 7 October 2007

कर्नाटक और पाकिस्तान का लोकतंत्र !

आज ही दो जगह से खबर आई । पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ़ ने फिर से राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया। और कर्णाटक में बीजेपी ने कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है । दोनो जगह लोकतंत्र के अलग रुप दिखे। पाकिस्तान में जहाँ लोकतंत्र मजबूत हुआ वही हिंदुस्तान में(कर्णाटक में) जनता दल एस ने लोकतंत्र का बड़ा ही घिनौना चरित्र सामने रखा । साथ ही भारत के संविधान को एक करारा तमाचा भी मारा।

पाकिस्तान में लोकतंत्र जीता!

हम पाकिस्तान में लोकतंत्र कि खराब हालत पर बडे खुश होते हैं, लेकिन वह लोकतंत्र और लोक का ही दबाव है की आज मुशर्रफ़ फिर राष्ट्रपति तो बनने में सफल जरूर हुए लेकिन उसके पहले सेना प्रमुख कि गड्डी छोड़ने का फैसला करना पड़ा। कियानी को सेना प्रमुख नियुक्त करना पड़ा। लोकतंत्र की इसी aandhii में benjeer ने भी अपने लिए कही ना कही रास्ता बाना लिया है । और जल्द ही पाकिस्तान लौटे वाली हैं ।

कर्नाटक में हारा!

कई दिनों कि बात-चीत के बाद आखिरकार आज भाजपा ने कुमारस्वामी की सर्कार से समर्थन वापस ले लिया। कभी देश के प्रधानमंत्री रहे देवेगौडा ने बेटे कुमारस्वामी को सीएम बनवाने के लिए फिर वही खेल खेलना चाहा जो उन्होने २० माह पहले कॉंग्रेस की धर्म सिंह सरकार के साथ खेला था। आज उन्होने उस भाजपा हो भी गच्चा दे दिया जो उस समय उनकी khevanhaar बनी थी। कभी उत्तर प्रदेश में सत्ता के दिनों के बटवारे मे मायावती से धोखा खा चुकी भाजपा इस बार सतर्क थी । और साफ कहा की हम नही तो तुम भी नही । ना तुम्हारी सरकार रहेगी और ना मेरी ।


दोनो का अंतर

कर्णाटक की जनता के सामने साफ है की उनके नेता सत्ता का मजा लेने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। कुमारस्वामी और उनके पापा जी आज तक जिस भाजपा के साथ सरकार में साथ चल रहे थे आज उसी के बारे में उनका कहना है कि वे सांप्रदायिक पार्टी को सत्ता नही सौप सकते । अच्छा है की पाकिस्तानी जनता अपनी मांगो के लिए सडकों पर उतरने लगी है । लग रहा है की कोई बड़ा बदलाव आएगा , और अगर सेना वहा मजबूत रहे तो ज्यादा बदलाव होगा । भारत में भी यही हाल रहा तो एक दिन ट्रस्ट हो जनता को सड़क पज उतरना होगा।

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