कहते हैं भारत विविधताओं से भरा देश है, विविध लोग...विविध नज़ारे और विविध प्रकार की बातें.....हर बार जिंदगी का नया रूप और नई तस्वीर....लेकिन सब कुछ हमारी अपनी जिंदगी का हिस्सा...इसलिए बिल्कुल बिंदास...
Tuesday, 7 July 2009
बजट पर हम क्या बोलें, आप ने देख ही लिया!
देश में बजट पहली बार नहीं आया है पिछले ६ दशकों से हम हर साल बजट का इन्तेज़ार करते हैं. हर बार हमारे विकास के नाम पर करोडों-करोड़ की राशि की घोषणा और उसका खर्चा दिखा दिया जाता है और हमारी बदहाली दूर करने का कोई लक्ष्य तय कर दिया जाता है. हम टीवी पर और अख़बारों में बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देकर खुश हो लेते हैं और उसकी कटिंग काटकर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को दिखाकर खुश होते रहते हैं. इस बार भी बजट हमारी अपेक्षाओं से अलग कहाँ रही. लेकिन हमारे देश की जनता भी..मत पूछो.. पता नहीं कब पेट भरेगा इसका. इतना कुछ कर दिया फिर भी असंतोष. करोडो-अरबो रुपया आपके विकास के लिए खर्च होंगे और अब तो गरीबी ५० फीसदी मिटाने का लक्ष्य भी तय कर दिया गया है. चलो अब तो खुश हो ले मेरे लाल. हमेशा मुहँ फुला लेते हो. हो गया न इस बार का फिर अगले साल इसी बजट फिल्म की रीमेक के साथ आएंगे हमारा दादा आपके सामने. एकदम नए कवर में लपेटकर फिर आपके सामने होगा आपका बजट..यानि की आपके विकास की योजना. तब तक के लिए अलविदा....चलो चलते-चलते एक गाना गाते हैं---कुछ न कहो...कुछ न सुनो...
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1 comment:
कुछ न कहो...कुछ न सुनो...यही करती ६१ साल बीते..और भी बीत ही जायेंगे...भारत के!!
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