Saturday, 14 March 2009

वादे पे यकीं करो...तो सभी गरीबों को स्मार्ट फोन मिलेगा!

चुनावी समर में उतरने के बाद अब सबका ध्यान जीत पर है... सभी दल बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं। आज भाजपा के पीएम इन वेटिंग आडवाणी जी ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया...इसके मुख्य वादे है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सभी लोगों को स्मार्ट फोन दिए जायेंगे, सबको रोजगार मुहैया कराया जायेगा, हर स्कूल में इन्टरनेट शिक्षा दी जायेगी और हर भारतीय का बैंक खाता खोला जायेगा। क्या मान लें कि अब भारत से गरीबी के दिन लदने वाले हैं. अगर वाकई में ऐसा हो गया तो फिर विश्व बैंक और तमाम बड़े संगठन और गरीबी को लेकर लगातार अपना आकलन दे रहे विश्लेषक किस काम के रह जायेंगे.


अब आप ही सोचो कि अगर देश के हर गरीब(यूँ कहें कि जिनके पास नहीं है...वैसे इससे भी ज्यादातर वही लोग लाभान्वित होंगे जो वास्तव में गरीब नहीं होंगे) को स्मार्ट फोन पकडा दिया जाये। सोचो कि पूरा देश मोबाइल हो जायेगा। कितनी तेजी से लोग अपना काम कर पाएंगे और देश कितनी तेजी से तरक्की कर पायेगा। वैसे देश के दक्षिणी राज्यों में राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव के वक्त जनता से वादा करती रही है कि जीतने के बाद टीवी वगैरह देंगे. जहाँ तक देश के सभी लोगों को रोजगार देने की बात है तो ये काम हमारे देश की वर्तमान सरकार के वादों के खटोले में भी है. सच कहें तो रोजगार गारंटी योजना के तहत भी हर ग्रामीण नागरिक को रोजगार देना है जो मेहनत-मजदूरी करने को तैयार हो. इसमें प्रावधान है कि अगर रोजगार नहीं दिया जा सका तो भत्ता मिलेगा. लेकिन इस नए घोषणापत्र की परिधि में देश का हर नागरिक है. चाहे वो ग्रामीण हो या शहरी ये नयी सरकार सबको रोजगार देगी॥ अब ये कैसे होगा ये बता पाना मुश्किल है. जहाँ तक बैंक खाता खोलने की बात है तो रोजगार गारंटी योजना में भी ऐसा प्रावधान है कि सभी के खाते खुले और उनकी मजदूरी उसी खाते में भेजी जाये. अब ये राशिः सही तरीके से कितनो को मिल पाती है ये कहा नहीं जा सकता.

सरकार में आने की चाह में भाजपा ने वादा किया है कि देश के सभी स्कूलों में इन्टरनेट शिक्षा प्रदान की जायेगी। अगर सच में ऐसा हो जाये तो शहर तो शहर गाँव के लोग भी ग्लोबल विलेज में शामिल हो जायेंगे और बाकि दुनिया से कदम से कदम मिलाकर चल सकेंगे. लेकिन इस सपने के पहले इस बात का भी ध्यान होना चाहिए कि हमारे अधिकांश गांवों में आज भी कभी-कभार ही बिजली आती है और आज भी हमारे गाँव लालटेन युग में ही जी रहे हैं.

चुनाव के वक्त राजनीतिक बिरादरी के वादों को सुनकर ठहाका लगाना और उसका उपहास उडाने का वक्त अब गया। क्या हमें इन वादों को ध्यान से सुनना नहीं चाहिए और फ़िर अपने द्वारा चुनी हुई सरकार से उन वादों को पूरा नहीं करवाना चाहिए। अगर अब भी हम ऐसा नहीं करवा सके तो फ़िर वैसे ही ये वादे भी उसी तरह हवा होते रहेंगे जैसे पिछले ६ दशकों से होते रहे हैं...

3 comments:

अनिल कान्त said...

अच्छी लोली पॉप दिखा रहे हैं

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

संगीता पुरी said...

इस चुनाव में कोई मोबाइल बांट रहे है ... तो कोई लैपटाप ... भोजन , वस्‍त्र , आवास और अन्‍य बुनियादी सुविधाओं की तो कोई बात ही नहीं कर रहा ।

Anonymous said...

इन नेताओं को जनता से इतना दुराव हो गया है की ये उनका नज्ब पहचान नहीं पा रहे.
आज की चालाक होती जनता के आगे उसे बुद्धू बनाने वाले कल के पुराने फोर्मुले नहीं चलने वाले?अब बताइये
राम मंदिर या स्मार्ट फ़ोन से या लैपटॉप खाकर जनता अपना पेट कैसे भरेगी?मुझे तो ये अल्ज्हेइमेर रोग से ग्रसित सठियाए व्यक्ति लगते हैं.