
अब आप समझ सकते है कि जिस शख्स पर देश की आतंरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी है उनका बयान ऐसा है. जाहीर सी बात है इस बयान में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमला करने वालों को डरा सके. न ही अबतक हुए हमलों में लोगों को हुई सजा इन्हे डरा सकती है. जो अबतक पकड़े गए उनके और मामले में हुई छीछालेदर आगे से बहादुर पुलिस अफसरों को कुर्बानी देने से रोकेगी और जनता का भरोसा भी सिस्टम से उठता जाएगा. इसलिए कहा जा सकता है कि लोगों को अब केवल अपनी किस्मत पर ही भरोसा रह गया है. उन्हें कोई नहीं बचा सकता सिवाए उनकी किस्मत के। मालेगांव विस्फोटों में पकड़ी गई साध्वी प्रज्ञा के बारे में डंका पीट रहे लोग बटला हाउस मुठभेड़ का नाम आते ही चुप्पी लगा जाते हैं। कंधमाल, कर्णाटक पर भी वे खूब बोलते हैं और गुजरात का उदहारण देना भी वे नहीं भूलते लेकिन जैसे ही मुंबई में राज ठाकरे कि गुंडागर्दी, असम और बिहार में भरे अवैध बांग्लादेशीयों को मामला आता है उनकी जबान पर जैसे ताला लग जाता है. ऐसा नहीं कि ये हाल केवल एक दल का है. विपक्ष के पास भी ऐसा कुछ नहीं है जिसके दम पर वे कह सके कि आम आदमी को सुरक्षित रखने में वे कामयाब रहेंगे. उनके काल में भी पड़ोसी देशों में सक्रिय आतंकवादियों पर लगाम नहीं लगाया जा सका और वर्तमान सरकार के काल में भी ये सम्भव नहीं हो सका. जब भी हमले होते हैं किसी नए आतंकवादी समूह का नाम लेकर सब निश्चिंत हो जाते हैं. खुफिया एजेंसियां ये कहकर निश्चिंत हो जाती हैं कि हमने तो पहले ही हमलों की चेतावनी दे दी थी. इस माहौल में कहा जा सकता है कि लोग अपने भाग्य-भरोसे ही बच सकते हैं.
2 comments:
बहुत दुख होता है यह सब सुनकर और पढकर। लेकिन सत्य यही है।
आपके विचार पढ़कर दुख हुआ पर आपसे सहमत होना हमारी मज़बूरी है।
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