Thursday 10 April 2008

दिल्ली का इंडिया गेट बोले तो 'लव गेट'...

मुझे दिल्ली में रहते करीब ३ साल होने जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इसके पहले मैं मशहूर इंडिया गेट के बारे में इस सच्चाई को नहीं जानता था। लेकिन इस तरह से अपनी आंखों से सब-कुछ देखने का मौका हाथ नहीं लगा था और ना ही इस बारे में जानने की इतनी उत्सुकता पहले कभी और जगी थी। कल वहाँ घूमने का प्लान भी अचानक बना। शाम के वक्त कुछ समय बचा तो हम दोस्तो ने सोचा कि चलो आज इंडिया गेट घूमते हैं। इसके पहले भी कई बार इंडिया गेट देखने के लिए गया हुं और देखकर सीधे लौट गया हुं। कल शाम के वक्त जाना हुआ तो एक नई बात जानने का मौका मिला। अब तक इस जगह के बारे में मेरा ख्याल था कि यहाँ लोग इंडिया गेट देखने के साथ-साथ खुली हवा में साँस लेने आते हैं। लेकिन कल इंडिया गेट के बगल में बैठे हुए अचानक एक रेहरी वाले की बातों ने कई नई जानकारिया दे दी। चाय पिलाते हुए उसने कहा भैया यहाँ सब कुछ मिल सकता है आपको। हमने सोचा भाई आज इसके बारे में पूरी जानकारी ले ही ली जाए। फ़िर हमने उस रेहरी वाले से जगह के बारे में जानकारी ली। और हम उस तरफ़ बढ़ लिए। उस रेहरी वाले से हमें ये जानकारी भी मिली कि जैसे-जैसे शाम होते जाता है इंडिया गेट के agal-बगल के इलाके प्रेमudyan का रूप लेते जाते हैं।

हम उस तरफ़ बढ़ चले जिसके बारे में हम jaannaa चाहते थे। वहाँ का najara वैसा ही था जैसा कि उस रेहरी वाले ने हमें बताया था। उस जगह की doori इंडिया गेट से महज १०० मीटर होगी। suraksha के नाम पर बीच में लगा bairiked इस park के लिए परदा का काम कर रहा था। जो लोग इंडिया गेट घूमने आ रहे थे वे वही से वापस लौट जा रहे थे और जो लोग khaskar इसी जगह के लिए आ रहे थे unhe इसके बारे में पहले से ही maaloom था। हमने park के pravesh dwar पर आसन लगा कर जानकारी लेने का faisala किया। प्रेमी yugal आ रहे थे और पेड़-पौधों से ghire इस baag में वे आते और किसी एक तरफ़ बढ़ लेते। फ़िर unhe कोई rokne walaa नहीं था और ना hin unhe इस बात का डर था कि इतने बड़े sarvjanik जगह पर unhe प्रेम lila से कोई rokegaa। पता नहीं prashasan को इतनी खुली बात कैसे पता नहीं है और उसे पता है तो इसे rokne के लिए कोई कदम किस adhar पर नहीं उठाया जा रहा है। लोगों कि swakchandata में taang adaane के लिए prashasan को kahna हमने भी thik नहीं samjha आख़िर यहाँ आए हुए लोग भी swatantra देश के swatantra naagrik हैं और इंडिया गेट जैसे rashtriy smarak घूमने आए हैं।

ऐसा भी नहीं है कि ये park सड़क से दूर है। बल्कि ये सड़क से sata हुआ है और कोई भी किसी भी तरफ़ से इस park में घुस सकता है। रेहरी waalon की achchhi खासी संख्या भी प्रेम में leen इस प्रेमी yuglon को खाने-से लेकर saari chije pahuchaane में लगी हुई थी। इन रेहरी waalon में से कई लोगों से हमने बात की jyadatar उनमें से १० से २० साल के ladke थे। उनमें से कई ऐसे लोगों को प्रेमी-premikaayen muhaiyaa कराने के काम कराने के नेक काम में लगे थे। कई लोग ऐसे थे इस rashtriy smarak पर ख़ुद को अकेला mahsoos कर रहे थे, ये लोग inhin लोगों को प्रेमी-प्रेमिका से milaane का काम कर रहे थे। हमने जानकारी लेने के लिए एक से puchha भाई yaha क्या rett है। हमारी बात पुरी तरह सुने बिना एक लड़का कह baitha भैया दिल्ली में तो खाने-pine से लेकर हर chij की kimat देनी होती है तो फ़िर प्रेम के लिए तो कुछ jyada ही kimat देनी padegi ना। वहाँ आने वाले jyadatar लोग kishorvay थे शायद skool-kalej के ladke-ladkiyan या फ़िर जो भी रहे हों। किसी बात के लिए उनके विचार चाहे जो भी रहे हों लेकिन एक बात से वे nischint थे की कोई unhe यहाँ rokegaa नहीं। matlab आप कह सकते हैं की इंडिया गेट जैसे saarvjanik स्थल से महज 100 मीटर की doori पर लोगों को वो सब करने की ajaadi है जिसे rokne के लिए police aksar hotlon और यहाँ तक की कई rihaishi makanon में भी chhape maarti रहती है! लेकिन इंडिया गेट जैसे sarvjanik sthan पर इस मुक्त प्रेम को rokne के लिए कोई नहीं है और लोग unmukt प्रेम का aanand uthakar इस जगह को लव गेट का दर्जा दिलाने के abhyaan में लगे हुए हैं.....

1 comment:

Neeraj Rohilla said...

भइया,
बाकी सब तो ठीक है लेकिन आप इस प्रेमालाप को रोकना क्यों चाहते हैं? अब कहीं आप बजरंग दल वालों को ख़बर न कर देना, :-)
न जाने कितने दिलों पर चोट लगेगी |