Tuesday 29 April 2008

पत्नी पीड़ितों की बात भी सुनी जायेगी...

महिलाओं पर जुल्म की मूल वजहों को जानने और उनके प्रति पुरुषों के नजरिये में बदलाव लाने के मद्देनजर सरकार जल्द ही एक गोलमेज सम्मेलन करेगी। इसमें पत्नी पीड़ित पतियों की भी बातें सुनी जाएंगी। चालों कई सालों से अपनी बात सुनने की मांग करते आ रहे पीड़ित पतियों के संघों के लिए अच्छी ख़बर। सम्मेलन में महिलाओं के साथ पत्नी पीड़ित पतियों, सामाजिक मनोविज्ञानियों और दूसरे प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। सम्मेलन में ये जानने का प्रयास भी किया जायेगा की पुरुषो के हाथों महिलाओं की पिटाई का कारण क्या है।

पहले चलते है मूल समस्या पर। हमारे देश में तमाम कानून बने महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए। लेकिन हालत वही जस की तस है। जितने ज्यादा कानून बने अपराध उससे ज्यादा होते गए। हाल में घरेलू हिंसा को रोकने के लिए सरकार ने कानून बनाया। इसमें भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए सभी नियम-कायदे तय किए गए। लेकिन अपराध हैं कि रुक ही नहीं रहे हैं। इन सब कानूनों में केवल महिलाओं के अधिकार की बातें होती रही और पुरुषों के पक्ष की चर्चा नई हुई। इस दौरान पुरुषों ने भी कई आरोप लगाये की महिलाओं से वे प्रतारित हैं। पुरूष हितों के संरक्षण के लिए पीड़ित पतियों के कई संघ भी देश में बन गए। राजधानी दिल्ली में इस तरह के कई संघों के पोस्टर मैंने सड़क किनारे लगे हुए देखे हैं। आधुनिक समाज में पारिवारिक संबंधों में आये बदलाव और खुलेपन ने कई तरह के अपराध को परिवार की देहरी से बाहर उजागर किया है। महिलाएं अपने खिलाफ होने वाले अपराध के खिलाफ मुखर जरूर हुई हैं लेकिन साथ ही देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के कई मामलों में आरोपी को कोर्ट द्वारा बरी करने के फैसले ने पुरुषों के आरोपों को भी बल दिया। इन सब स्थितियों के बीच सरकार ने भी दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर बात कराने का फैसला किया है।

ये फैसला काबिले तारीफ हो सकता है लेकिन जरूरत है कि इस मामले पर व्यावहारिक रुख अख्तियार किया जाए। अब जो लोग सम्मेलन में आयेंगे उनमें क्या वे लोग होंगे जो अपनी पत्नियों या पतियों को प्रताडित करते हैं। क्या लोग सबके सामने अपनी गलती स्वीकार करने कि हिम्मत करेंगे। सम्मेलन केवल बहस और चर्चा कर मीडिया में जगह बनाने से ज्यादा असरदार साबित होगा। इन सब बातों पर आया परिणाम इस सम्मेलन के असर को नियत करेगा।

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