Sunday 9 March 2008

किसान अचानक लाईमलाईट में क्यों आ गए!

हमेशा किसानों की बदहाली का रोना रोने वाले हमारे देश में किसान अचानक लाईमलाईट में आ गया है। चुनाव का साल है और लगभग सभी पार्टियां अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए नए-नए तरिएक तलाशने में जुट गई है। इसकी शुरुआत इस साल के आम बजट में किसानों का कर्ज माफ़ करने की घोषणा कर केन्द्र सरकार ने की। बजट के इस फैसले को अपने पक्ष में भुनाने के लिए जहाँ सत्ता में साझी पार्टियां इसे अपने दबाव का परिणाम बताने लगीं वहीं विपक्ष जब कुछ नहीं कह सका तो कहा गया की ये फैसला देर से लिया गया। इस फैसले से अपने टीवी चैनल वालों को भी खूब मसाला मिल गया। कई चैनलों में तो तुरंत खटिया (ग्राफिक्स वाला) बिछाया गया और रोज टाई-सूट में दिखने वाले पुरूष और महिला एंकर खटिया पर धोती-लुंगी-कुरता और साड़ी पहने नजर आने लगे। ताकि मीडिया के मार्फ़त दर्शक भी इस फैसले के बाद किसानों के चेहरे पर आयी खुशी को महसूस कर सकें।

अब जब किसानों का मौसम (सच कहें तो चुनावी मौसम) आ ही गया तो चुनाव की तैयारी तो करनी ही पड़ेगी। देश की एक बड़ी पार्टी के राजकुमार ने भारत को खोजने के लिए अपनी देश-व्यापी यात्रा शुरू कर दी। ये यात्रा देश के सबसे गरीब इलाके के रूप में मीडिया में जाने जाने वाले उडीसा के कालाहांडी से शुरू किया गया। युवराज ग्रामीण इलाको और आदिवासी इलाकों का दौरा कर भारत की खोज करेंगे। जहीर है जल्द ही अन्य पार्टियां भी जल्द ही इसकी काट के लिए कोई नई यात्रा शुरू करेंगे।

इन सबसे आगे रहे बिहार में विपक्ष के विधायक( इनकी पार्टी पिछले १५ साल से बिहार में राज कर रही थी।)। किसानों की समस्याओं पर नीतिश सरकार का ध्यान दिलाया जाए इसके लिए इस दल के ४ विधायक बैलगाडी पर बैठकर विधानसभा चले और मीडिया का ध्यान खीचने का पुरा प्रयास किया। बैलगाड़ी में चारों तरफ ईख बंधा था। और पीछे-पीछे इन विधायकों की नई माडल की चमचमाती गाड़ी। विधानसभा के बाहर खड़े पत्रकारों को उस दिन का मसाला यूं ही मिलगया।

आप भी सोच रहे होंगे की जब सबको किसानों की फिक्र हो रही है तो अब जरूर किसानों की हालत सुधरेगी। लेकिन ये इंडिया है और जो दिखता है वैसा होता नहीं। बिल्कुल उस मदारी वाले के करतब की तरह - जो पूरे भीड़ को अपने तरह-तरह के करतब से खुश कर देता है और वैसा होता कुछ भी नहीं है। लेकिन चुकी सबको किसानों को खुश करना है क्योंकि राजनीति की दिशा अब भी भारत का किसान ही तय करता है। और किसी भी दल को भारत पर राज करने के लिए किसानों की रहम की जरूर्रत पड़ेगी ही इस लिए जरूरी है की किसान लाइम्लाईट में ही रखे जायें। और सब फील गुड करते रहें........

2 comments:

Anonymous said...

good

आनंद said...

सब नौटंकी है। किसानों का दुख दर्द दूर करना इतना आसान नहीं है। गाँवों में जाकर देखिए। इतनी बदहाली है कि ईमानदार कोशिश की जाए तो भी पी‍ढ़‍ियाँ लग जाएंगी। - आनंद