शुक्रवार को दिनभर बिहार ख़बरों में छाया रहा। मुंबई में परीक्षा देने गए छात्रों के साथ मार-पीट के विरोध में कुछ छात्र संगठनों ने बिहार बंद का अहवाह्न किया था और दिनभर वहां तोड़-फोड़ और मार-पीट चलती रही. दलीय राजनीति चाहे जो भी हो लेकिन एक बात अच्छी लगी कि वहां छात्र आंदोलित हुए और अपनी आवाज बुलंद की. जाहिर है सड़क पर उतरे युवा भारतीय लोकतंत्र में अपनी अहमियत और अपने नागरिक अधिकारों की वापसी के लिए सड़क पर उतरे थे. अपनी आवाज बुलंद करना भूल चुके बिहार का ये मुखर होता हुआ चेहरा एक नई उम्मीद की किरण पैदा करता है. बिहार को फ़िर बोलना होगा...अपने लिए बोलना होगा...ये आज उसके लिए एक जरुरत बन गई है...शायद खाने, पीने और जीने के जैसा...
बिहार में एक और मुखरता आनी चाहिए अपने विकास को लेकर... कई ऐसे राज्य हैं जो केन्द्र से बड़ी मात्रा में पैसा ले रहे हैं. विकास के नाम पर. बिहार को भी देश के विकास में अपनी हिस्सेदारी के लिए मुखर होना होगा. इसके लिए बिहार के लोगों खासकर युवा वर्ग को आगे आना होगा और अपने देश को बताना होगा कि उसे आगे बढ़ने के लिए उसका हिस्सा चाहिए. देश के आगे ये मांग होनी चाहिए कि बिहार आगे बढ़ना चाहता है और अब बिहार ख़ुद को सबके बराबर लाना चाहता है. उसे इस नज़र से नहीं देखा जाना चाहिए कि वो सबकुछ के लिए दूसरो पर निर्भर है और उसके बच्चों को नौकरी पाने के लिए किसी राज ठाकरे और किसी रवि नाईक जैसे लोगों की धौंस सहनी पड़ेगी.. कि देश के संसाधनों पर उसका भी हक़ है और वो इसे लेकर रहेगा. उसे अपने ऊपर से लगा कमजोरी का धब्बा हटाना पड़ेगा और ये तभी होगा जब बिहार के युवा खड़े होकर दूसरे लोगों से नज़र मिलाकर बात करेंगे और उनके सवालों का जवाब मुखर होकर देंगे. इसके लिए पहले काम करना होगा और अपने राज्य के नेत्रित्व को भी मजबूर करना होगा कि वो इनके लिए काम भी करे और इनके हक़ के लिए अपनी आवाज देश के सामने ज्यादा मुखर अंदाज में कहें...आज छात्र सडकों पर उतरे हैं तो इसका स्वागत होना चाहिए और ये पार्टी और विचारधारा के लाइन से उठकर होना चाहिए. वहां कि सरकार को भी चाहिए कि वो लोगों को अपनी बात कहने से रोकने नहीं और इनकी आवाज को सही दिशा दे. नेत्रित्व का काम यही होता है और अगर ये न हो सका तो कल को युवा इस तरह के नेत्रित्व को स्वीकार करने से इनकार कर देगा...
3 comments:
बिहार के बुद्ध ने लोगों को मार्ग दिखाया। लेकिन बिहार में नया जमाना सामंतवाद के अण्डखोल में जकड़ा हुआ है। उसे बाहर निकलने के लिए खुद ही चोंच मारनी होगी।
बहुत सुंदर लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं.
"कई ऐसे राज्य हैं जो केन्द्र से बड़ी मात्रा में पैसा ले रहे हैं. विकास के नाम पर. बिहार को भी देश के विकास में अपनी हिस्सेदारी के लिए मुखर होना होगा.…" पैसा सभी राज्यों को बराबरी से मिलता है (बल्कि बिहार को हमेशा ज्यादा ही मिला है, मंत्रालय भी और सहायता भी) सिर्फ़ उसका उपयोग वहाँ के नेता कैसे करते हैं यही अन्तर होता है बस…
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