
पूरी दुनिया ने देखा कैसे पाकिस्तान से आये आतंकवादियों ने मुंबई में उत्पात मचाया फिर भी आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ९-११ के बाद जिस अमेरिका ने अपनी मन-मर्जी के अनुसार चुन-चुनकर दुनिया के कई देशों और वहां शरण पाए आतंकियों को निशाना बनाया वही अमेरिका लगातार बयानबाजी कर पाकिस्तान के लिए ढाल बने रहा. जो कुछ उससे बचा वह भारत के परंपरागत दुश्मन चीन लगातार पाकिस्तान की पीठ थपथपाकर पूरा करता रहा. हम अमन की उम्मीद लगाये बैठे रहें और उम्मीद करते रहें कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश जरूर कुछ करेंगे. अब भाई कोई और क्यूँ हमारे लिए कुछ करेगा अगर हम अपनी सुरक्षा में हथियार नहीं उठा सकते तो कोई और थोडे ही हमारे लिए लड़ने आयेगा? इतना ही नहीं जब पाकिस्तान के साथ सरकारी तौर पर हमने सारे ताल्लुकात रोक दिए और देश में होने वाले क्रिकेट सीरीज में पाकिस्तानी खिलाडी नहीं चुने गए तब भी अमन पसंद जमात ने हो-हल्ला मचाया और कहते रहे कि सरहद पार सभी लोग आतंकवादी नहीं है. अब जब पाकिस्तान की हुकूमत हमारे वार्ता के प्रस्ताव का मजाक उड़ा रही है तो बताएं हमारे अमन की आशा के सिपाही कि अब क्या करना चाहिए. क्या अमन के लिए सभी भारतीय पाकिस्तान के आगे सर झुका कर खड़े हो जाएँ कि भाई लो जितनो को मार कर शांति मिलती हो मार लो लेकिन अमन की हमारी आरजू जरूर पूरी कर दो...
3 comments:
सही लिखा है...यही ठीक रहेगा....हालात को देखते हुए क्या उम्मीद की जा सकती है....
bilkul theek kaha
khoon me garmi la di khikh kar
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