Thursday, 17 December 2009

सच भाई... जमाना कितना बदल गया न...

जमाना कितना बदल गया। पहले शादी-ब्याह के मौके पर लड़के-लड़की ऐसे सकुचाये-सकुचाये घूमते थे जैसे जबरदस्ती उनकी शादी हो रही हो और उनके पास बचने का कोई उपाय नहीं है, इसलिए शरमा-शरमा कर काम चला रहे हों. हर बात शरमा-शरमा कर ऐसे बोलना ताकि कोई ये ना समझ ले कि ये खुद शादी करना चाहता है और काफी खुश है, इसलिए हर बात, हर अदा में शर्म दिखाना जरुरी होता था. लेकिन अब ऐसा नहीं रहा. अब तो मां-बाप अपनी जवान होती संतान को देखकर यही दुआ मांगते हैं कि भगवान इसे प्लीज नए ज़माने की हवा से बचाना. कहीं वो दिन नहीं देखना पड़े कि सुबह उठे तो पता चला- लड़का पड़ोसन की लड़की या फिर स्कूल की किसी सहेली के साथ फरार हो गया. चलो ऐसा कर भी ले तो सही लेकिन पता चला नए ज़माने की हवा में बहकर किसी दोस्त को ही जीवन साथी बनाकर घर मत चला आये. अगर ऐसा हो गया तो कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रह जायेंगे. हालाँकि मां-बाप का ये डर कोई यूँही नहीं है...समानता और मानवाधिकार के इस ज़माने ने इतनी तेज एंट्री मारी है कि सब देखते रह गए. आज सुबह अख़बार में एक तस्वीर पर नजर गयी. अख़बार में एक फोटो छपी थी जिसके नीचे लिखा था- विवाह के बाद माता-पिता आशीर्वाद देते हुए. बीच में मां-बाप बड़ी शान से अपने दोनों तरफ खड़े नवविवाहित जोड़े के सर पर हाथ रख आशीष दे रहे थे. मै तस्वीर में दुल्हन ढूंढता रह गया. मां-बाप के दोनों तरफ दो लड़के शेरवानी पहने खड़े शान से नए जीवन में प्रवेश के वक्त मां-बाप का आशीर्वाद ग्रहण कर रहे थे. फिर माजरा समझ में आया, बस मुंह से इतना ही निकल पाया- भाई नए ज़माने के प्यार का झोंका है.
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वैसे पहले की फिल्मों में शादी का नाम लेते हीं लड़कियां सकुचाकर-शरमाकर भाग जाती थी और ज्यादा पूछने पर बस इतना ही कहा करती थी- जैसा पापा चाहें. लेकिन फिर जमाना बदला. लड़कियों ने लडको को चुनना और रिजेक्ट करना शुरू कर दिया. देश के अनेक हिस्सों से ख़बरें आने लगीं कि लड़का पसंद ना होने पर लड़की ने बारात वापस भेजा. जो मां-बाप कल तक बिना पूछे शादियाँ तय कर दिया करते थे वे कुछ भी करने से पहले अपनी संतानों की राय लेना सीख गए. लेकिन जमाना उस दौर से भी आगे निकल रहा है. अब शादियाँ टीवी के परदे पर भी होने लगी हैं. हमेशा बोल्ड और बिंदास और कईयों के शब्दों में कहें तो अपनी भद्दी अदाओं से हमेशा लोकप्रियता बटोरते टीवी सितारे अचानक टीवी के परदे पर अपना जीवन साथी तलाशने निकल पड़े. अपने बदले हुए रूप में टीवी ने किसी की शादी कराना शुरू किया तो कोई टीवी के परदे पर बच्चा पालता नजर आया. दर्शकों ने भी इस नयी दुनिया का दिल खोलकर स्वागत किया और टीवी चैनलों को टीआरपी देने के अलावा एसएमएस भी खूब भेजे. घर-घर में चर्चा होने लगी और कयास लगाये जाने लगे कि कौन सी दावेदार शादी कर पाने में सफल होगी. टीवी के परदे पर ही परफेक्ट ब्राइड चुने जाने लगे. अपने रियल लाइफ में अपना वैवाहिक जीवन असफल साबित कर चुके लोग खुद को चमका-दमका कर फिर से कूद पड़े टीवी के परदे पर अपना जीवनसाथी चुनने के लिए. टीवी पर आकर ऐसी बातें करने लगे जैसे उनसे ज्यादा कोई मासूम नहीं हो. लेकिन टीवी की महिमा है लोगों को बदलने का मौका दे रही है, चलो बदल जाये तो अच्छा ही होगा. दुनिया बदल रही है और टीवी वाले इस बदलाव को तेज बना रहे हैं. सबकुछ यूँ बदल रहा है जैसे स्वप्न नगरी हो.

1 comment:

Udan Tashtari said...

भाई नए ज़माने के प्यार का झोंका है. :)