एक खबर पढ़ रहा था जो १८५७ कि क्रान्ति से जुडी हुई थी। देश में आजकल १८५७ कि क्रान्ति की १५०वी वर्षगांठ मनाई जा रही है । देश भर से लोग जुटे हुए है आजकल उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से दिल्ली के लाल किले तक पैदल मार्च का आयोजन किया गया है । यही वो जगह थी जहाँ से विद्रोही सैनिक पैदल मार्च कर दिल्ली पहुंचे थे और देल्ही के गड्डी पर बहादुर शाह जफर को बादशाह घोषित कर दिया था । इन्ही के सम्मान मे ये यात्रा हमारे कुछ स्वयम सेवी संगठनो ने आयोजित कि थी ।
अब आते है असल मसले पर । मेरठ से चली यात्रा में पूरे देश के नौजवानों के शामिल होने के दावे किये जा रहे थे । तभी खबर आयी कि यात्रा मे शामिल कुछ नौजवान इसलिये तोड़-फ़ॉर पर उतारू हो गए कि उनके खाने-पिने के लिए अच्छे प्रबंध नही किये गए थे । अब ये सोचने वाली बात है कि क्या ये युवक क्रांतिकारियों के सम्मान के लिए यात्रा में भाग लेने आये थे या इन्हें लाया गया था । ये भी सुनाने में आयी कि पैसे देकर इन्हें लाया गया । मई सवाल पूछना चाहूँगा उन अयोज्को से जो इस तरह से क्रान्ति के नाम पर अपनी दुकान चमकाना ओर इनसब के नाम पर आने वाले सरकारी पैसों कि बंदरबांट मे लगे है कि कहीँ वो क्रान्ति शब्द का मजाक तो नहीं उड़ा रहे है ।
अगर ये बात सही है कि हमारे नौजवान पैसे लेकर क्रान्ति यात्रा मे भाग लेने आये थे तो ये हमारे उन क्रांतिकारी भाइयो का भी अपमान है । हम नही जाते किसी यात्रा को, हम नही दिखावा करते किसी के सम्मान का लेकिन अगर उन्ही क्रांतिकारियों का मजाक उदय जाये ये हमे बर्दास्त नहीं। अखिर हम उसी हवा में सांस ले रहे है जहा स्वतन्त्रता इन्ही क्रांतिकारियों के बलिदान से आयी थी ।
4 comments:
आपकी बात बिल्कुल सही है । यदि ये युवा पैसे लेकर आए थे तो दिखावे के रूप में किये जाने वाले इन तमाशों से बेहतर है कि हम मन ही मन स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर लें व धन्यवाद कर दें ।
घुघूती बासूती
संदीप जी,आज आम जनता क्या ,हमारे देश के नेता भी उन का एहसान भूल चुके है। वर्ना कोई तो ईमानदारी से अपना काम करता।जिन नौजवानो की आप बात कर रहे हैं वह तो दिखावे के लिए हिस्सेदारी करते हैं ऎसे मौको पर।
मुझे याद नहीं पड़ता कि किसी सरकारी या राजनैतिक आयोजन में स्वस्फ़ूर्त भीड़ एकत्रित होती हो।
आयोजन चाहे इतनी बड़ी बात की याद में ही था परंतु उसमें सरकारी का ठप्पा तो लग चुका था ना, तो फ़िर भीड़ निश्चित ही पैसे दे कर ही लाई गई होगी।
आप भी क्या भाई, नेताओं से उम्मीद लगाते हो ?
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