" प्रधानमंत्री कह रहे थे कि उद्योग जगत अपनी सामाजिक जवाबदेही निभाए, वो गरीब और पिछड़े तबको के लिए अपने यहाँ प्रतिनिधित्व बढाए "
जाहीर है प्रधानमंत्री का इशारा आरक्षण कि ओर ही था , जाहीर है इंडिया शाईनिंग की रीढ़ बने भारतीय उद्योग जगत को हत्थे से उखरना ही था । उसने साफ किया कि 'सामाजिक जवाबदेही का मतलब आरक्षण नहीं' ।
उद्योग जगत ने इसके लिए "अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सकारात्मक पहल" नाम से योजना शुरू कि है जिसमे निजी छेत्र में पिछ्डो का प्रतिनिधित्व बढाने के उपाय लिए जायेंगे ।
मेरे एक मित्र आज बडे उदास थे पूछने पर बताया कि नाहक कि ये उद्योग जगत सरका को उकसा रही है , भैया ऐसा मत कहो नही तो हमारे आरक्षण मंत्री जी(कोटा मिनिस्टर) नाराज हो जायेंगे और कोई कानून बनाकर निजी छेत्र में भी आरक्षण लागू करवा देंगे ।
अब का है भैया कि वो तो होगा ही क्योकि वोट लेना है तो लोली पॉप तो थमाना ही होगा ।
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