देश भर में आज जश्न मनाया गया. स्वाधीन होने(?) की ६२वी बरसी पर हम कितने खुश हैं इसका अंदाजा पिछले कुछ दिनों से लगने लगा था. बाज़ार में सजे तिरंगे, रेडियो और टेलीवीजन पर देशभक्ति के गाने और फ़िर अचानक १४ अगस्त को जब सारे टीवी चैनलों के लोगो(प्रतीक) तिरंगे के रंग में रंग गए तो अपने स्वाधीन होने पर काफ़ी गुमान सा होने लगा. इसी गुमान में आज के अखबार को देखकर एक खुशनुमा सुबह की उम्मीद बंधी. पहले पन्ने से ही हर तरफ़ तिरंगा ही तिरंगा दिख रहा था. विभिन्न पन्नो पर विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और दलों द्वारा स्वाधीनता दिवस के लिए बधाई संदेश पुते थे. बधाई संदेश बड़े-बड़े अक्षरों में और तिरंगे की बड़ी-बड़ी तस्वीरों के साथ छपे थे और उससे भी बड़े-बड़े विकास के दावे भी किए गए थे. आर्थिक-सामाजिक और पता नहीं अभूतपूर्व विकास के और भी कितनी बड़ी-बड़ी उपलब्धियों के लिए बधाईयाँ दी गई थी. राज्य सरकारों के भी बधाई संदेश थे और राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने बधाई संदेशों को अखबारों में जगह दिलवाने में कामयाबी पाई थी.
स्वतंत्रता दिवस के इन इश्तहारों से हटकर नज़र जब ख़बरों पर गई तो ये गुमान कम होता हुआ लगा. ये हैरान करने वाली बात थी इतने खुशनुमा माहौल में ये सब भी साथ-साथ चल रहा है. दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में उदोग्यों की स्थापना के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसान ख़बरों में थे. किसानों ने अपनी जमीन की उचित कीमतों के लिए आवाज उठाई थी और इसके लिए उन्हें व्यवस्था से लड़नी पड़ी. पुलिस से हुई मुठभेड़ में ६ लोग मारे गए. घटनास्थल पर पहुंचकर राजनीति चमकाने के लिए नेताओं की लाइने लगी थी. इलाके को अर्द्धसैनिक बालों ने घेर लिया था और तमाम नेता विरोध जताने वहां पहुँच रहे है और सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोक दिए जाने के बाद वापस लौट जा रहे हैं. दिल्ली से सटे होने के कारण नेता बड़ी संख्या में उधर पहुँच रहे हैं. मेरे विचार में उन्हें वापस कर सुरक्षाकर्मियों ने ठीक ही किया होगा. आख़िर उन्हें १५ अगस्त के कई कार्यक्रमों में भाग लेना है. इससे उनकी उपस्थिति भी दर्ज हो गई और आजादी के जश्न में जाने की फुर्सत भी मिल गई.
दूसरी ख़बर जम्मू-कश्मीर से आई थी. अमरनाथ मसले पर चल रहा विरोध बदस्तूर जारी है. मरने वालों की संख्या दो दर्जन तक पहुँच गई है. कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नही है. पूरे राज्य में कर्फु जैसे हालात है और राष्ट्रवादी तत्वों(?) ने घोषणा की है कि किसी भी कीमत पर वे झंदतोलन करेंगी. इसके लिए कई जगहों पर कार्यक्रम रखे गए हैं.
स्वाधीनता दिवस के जश्न के लिए राजधानी दिल्ली में अभूतपूर्व सुरक्षा कि खबरें भी थी. लालकिले के सामने खड़े मुस्तैद जवान की फोटो के साथ ख़बर की हेडिंग छपी थी- जमीन से लेकर आसमान तक पर नज़र! हर साल की तरह राष्ट्रपति का देश की जनता के नाम संदेश भी छपा था- आतंकी डिगा नहीं पायेंगे हमारा हौसला.
आजादी के जश्न पर सबसे बड़ा आकर्षण था अखबार का कार्टून कोना. उसमें एक तस्वीर बनी हुई थी जिसमें हथियारों के साथ मुस्तैद सुरक्षाकर्मी चारो ओर से घेरे हुए थे, चौकन्ने थे. उनके बीच से एक हाथ ऊपर की ओर उठा हुआ दिखाई दे रहा था. हाथ में तिरंगा था और सुरक्षाकर्मियों के बीच से केवल हाथ और तिरंगा ही दिख रहा था. ऊपर संदेश लिखा हुआ था-- हमारी आजादी अमर रहे...!
1 comment:
Dear Sundip,
You can be a better writer.
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