भारत में सड़कों की बदहाली का रोना सब रोते रहते हैं लेकिन हमारी राजनीतिक बिरादरी ने इसका हल निकल लिया है। सडको में गड्डे हैं और लोगों को आने-जाने में बड़ी परेशानी होती है इसके लिए क्या करना चाहिए? विशेषज्ञों से पूछने जाइये तो करोड़ों का खर्च बता देंगे तो चलिए इसके लिए किसी देशी नुस्खे को आजमाते हैं। अचानक आज अखबार पढ़ते हुए ये विचार आए हमने सोचा क्यूँ न आप लोगों के सामने भी रक्खा जाए क्या पता देश की तक़दीर और तदवीर बदलने वाली खोज साबित हो जाए। हुआ यू कि आज के अखबार में वीएचपी के देशव्यापी चक्काजाम कि ख़बर छपी थी और उसे पढ़ते हुए मुझे ऐसे लगा कि मेरे ज्ञान चक्छु खुल गए हैं। दरअसल ख़बर छपी थी कि अमरनाथ मसले पर चक्काजाम है, कश्मीर की सदके बंद है और वहां लोगों को खाने के समान नहीं मिल रहे हैं। सही भी है अब खाने वाला सामान है तो सड़क मार्ग से ही तो पहुचेगा, अब प्लेन से गोभी-भिन्डी ले जाना तो आसान नहीं है वरना प्लेन से ले जाने पर भिन्डी की कीमत होगी सोने जैसा हो जायेगा। तब १० ग्राम भिन्डी-लौकी के लिए हजारों की कीमत चुकानी पड़ेगी। तब सोचिये इन्फ्लेशन की क्या हालत होगी। फ़िर सोचिये अगर सरकार पर दबाव बनाना है तो विपक्ष के लिए चक्काजाम कितना कारगर हथियार साबित हो सकता है। ऐसा नहीं है कि ये केवल वोपक्ष के लिए फायदे का सौदा है बल्कि सरकार के लिए भी ये नाम कमाने का अच्छा मौका साबित हो सकता है। सब्जियाँ महँगी होंगी तो सरकार उसपर सब्सिडी देकर जनता की वाहवाही भी लूट सकती है.
सड़कों के मरम्मत और निर्माण कार्य पर करोड़ों फूंकने वाले भारत देश में अगर सरकार चक्काजाम को एक राष्ट्रीय पर्व घोषित कर दे तो कितना फायदा होगा। हमारे देश में वैसे भी बात-बात पर चक्काजाम होते रहता है और इतने सारे सम्प्रदाय, दल, संगठन और संघ चक्काजाम करने के दावेदार हैं कि आधा साल तो चक्काजाम में ही बात जायेगा। रही आधे साल कि बात तो उसका भी कुछ जुगाड़ हो ही जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे कि चक्काजाम से देश की अर्थव्यवस्था को कैसे फायदा होगा। बात सीधी सी है भाई- अब चक्काजाम होगा तो आधे लोग घर से बाहर ही नहीं निकल पाएंगे, गाड़ियों को बाहर निकालने का तो सवाल ही नहीं है। अब कौन अपनी म्हणत की कमाई से खरीदी हुई गाड़ी को भीड़ का शिकार होते देखना चाहेगा। फ़िर तो आधे साल न लोग सड़कों पर होंगे और ना गाडियां। जब लोग ही घर से बाहर नही निकलेंगे तो सड़के टूटेंगी कैसे। फ़िर हर साल के बजट में सड़कों के लिए जाने वाला करोड़ों रुपया तो बचेगा ही॥
लोग सड़क पर कम आयेंगे तो रोड रेज जैसे पाप भी नहीं होंगे और छेड़छाड़ का तो सवाल ही नहीं उठता। और ऐसे वक्त पर सामाजिक ठेकेदार लोग तो सड़क पर रहेंगे ही ताकि कोई चक्काजाम जैसे महापर्व का उल्लंघन कर सड़क पर आने का पाप न करे। जब लोग एक-दूसरे के आमने-सामने नहीं आयेंगे तो लडाइयां नहीं होंगी और इससे सामाजिक सौहार्द भी बना रहेगा। इधर राजधानी दिल्ली में इन दिनों बाईकर्स गैंग का आतंक सड़कों पर छाया हुआ है। अगर चक्काजाम हुआ तो ये बाईकर्स गैंग के भाई लोगों सड़कों पर आ ही नही सकेंगे और इससे लोगों को मुक्ति मिल जायेगी॥
इससे भी ज्यादा फायदा चक्काजाम का सेहत के लिए हो सकता है। बल्कि ये तो कई अस्पतालों और सेहत चमकाने वाले बाबा लोगों की दूकान भी बंद करा सकता है। अब जब सड़क से चक्का गायब हो जायेगा तो लोगों पैदल ही तो चलेंगे। फ़िर कई रोगों से उन्हें अपने-आप मुक्ति मिल जायेगी। फ़िर तो देश में स्वास्थ्य मद पर खर्च हो रहा करोडो-अरबो रुपया बचने लगेगा। और जनता की सेहत चमकाने के लिया सुबह-सुबह जग कर टीवी पर मशक्कत करने वाले बाबा लोगों को भी इस मुसीबत से छुटकारा मिल जाएगा। अब अगर भारत के लोगों ने इस चक्काजाम को जल्द से जल्द सरकारी नीति में शामिल नहीं कराया तो पश्चिमी देशों की नजर इसपर पर जायेगी और वे इसका पेटेंट करा लेंगे। और इस अद्भुत खोज के लिए कोई नोबल पुरस्कार ले जाएगा...इसलिए कहता हूँ इसके पहले की कोई इस रामबाण को झटक ले हमें जल्द ही धरोहर को राष्ट्रीय नीति के रूप में अपना लेनी चाहिए...
2 comments:
बड़े फायदे हैं चक्का जाम के. इस तरफ तो हमारा ध्यान गया ही नहीं-नाहक बुरा भला कहते रहे.
good one.... kaash ki aisa ho pata
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