Friday, 28 November 2008

सपनों के शहर मुंबई की एक सुबह...

नहीं मैं किसी सपने की बात नहीं कर रहा हूँ न ही मुंबई को शंघाई बनाने की थोथी बातों और दावों के बारे में कुछ कहने जा रहा हूँ। क्यूंकि कभी न सोने वाला, कभी न ठहरने वाला मुंबई अभी आतंक की गिरफ्त में है. पिछले ४८ घंटों से पूरा मुंबई आतंकी हमलों से घिरा हुआ है. लोग अपने घरों में दुबके पड़े है और टीवी के परदे पर नज़रें जमाये हुए हैं. सेना और एनएसजी के बहादुर जवान होटलों और अन्य जगहों पर लोगों को बंधक बनाये आतंकवादियों से लोहा ले रहे हैं और प्रधानमंत्रीजी देश की जनता के नाम संदेश देते हुए टीवी के परदे पर दिखाई दे रहे हैं। सभी नेता मुंबई में हुए इन आतंकवादी हमलों की निंदा करने में जुटे हैं और देश-विदेश से इन आतंकवादियों से निपटने में मदद की पेशकश की जा रही हैं। भारत में आतंकवाद की समस्या पर कभी भी कान न देने वाले ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देश भारत के सामने आतंकी समस्या की गंभीरता को स्वीकार करने लगे हैं। क्यूंकि मेरे विचार में बुधवार की रात से जिस तरह के हमलें मुंबई में शुरू हुए हैं शायद ही किसी देश में इस तरीके से आतंकियों ने हमला करने की अबतक हिम्मत की हो. अमेरिका में ९/११ का हमला भी इस तरह से सीधी लड़ाई जैसी नहीं थी.

ऐसा नहीं है कि इस हमले में मुंबई शहर की कोई गलती हो। मुंबई की गलती ये है कि ये देश की औद्योगिक राजधानी के रूप में जानी जाती है और देश-विदेश के लोगों के लिए एक केन्द्र के रूप में है. जाहीर है यहाँ हमला कर आतंकी ज्यादा से ज्यादा लोगों को डरना चाहते हैं. ऐसा भी नहीं है कि मुंबई में ये पहला आतंकी हमला है. इससे पहले भी मुंबई हमेशा आतंक के निशाने पर रहा है. एक बात और भी है कि देश में औद्योगिक सक्रियता का केन्द्र होने के कारण मुंबई के हमलों में बहुत सारे राज्यों और देशों के लोग हताहत हुए हैं. शायद आतंकियों का ये मकसद भी उन्हें मुंबई जैसे जगहों को टारगेट बनाने को तैयार करता है.

ऐसा नहीं है कि देश के अन्य शहर इन दहशतगर्दों के निशाने पर नहीं हैं। दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलूर, जयपुर, बनारस, हैदराबाद और कई अन्य शहर भी इन आतंकवादियों का शिकार बन चुके हैं। पूरा देश आज बैठकर संकट में घिरी मुंबई से आने वाली ख़बरों को देख रहा है. मुंबई से आने वाली खबरें कुछ इस तरह से है--- ताज होटल में मुठभेड़ अभी भी जारी, नरीमन हाउस में आतंकवादियों से मुठभेड़ अभी भी जारी, ओबेराय होटल में सेना-एनएसजी की करवाई जारी, शहर के सभी स्कूल, कॉलेज, कार्यालय, शेयर बाज़ार, फिल्मों और सीरियल्स की शूटिंग सब बंद. मतलब कभी न रुकने वाली मुंबई शहर आतंक के साए में जी रहीहै और पूरी तरह से ठहरी हुई है. रात को नींद तो अधिकंच को नहीं ही आई होगी. टीवी के परदे पर सब मुंबई को देख रहे हैं. शंघाई बनने का सपना सबके दिमाग से निकल चुका है और सब केवल जान की सलामती चाहते है. जान बचेगी तो मुंबई को शंघाई, न्यूयार्क कुछ भी बना लेंगे लेकिन पहले ख़ुद को सुरक्षित तो रखा जाए.

2 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

mumbai ko mumbai rahane de to thik hai. narayan narayan

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

मुम्बई की गलती यह है कि वह दाऊद और मस्तान जैसों को पाल पोस कर बडा किया और आज उसी का खामियाज़ा भुगत रहा है!