उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है की राज्य विधानसभा में सीसीटीवी कैमरे लगाए जायेंगे। ये कैमरे असामाजिक तत्वों पर निगाह रखने के लिए लगाये जायेंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने विधायकों, कर्मचारियों और यहां आने वाले लोगों को इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट कार्ड देने का भी फैसला लिया है। इसी ख़बर को एक वेबसाइट इस तरह से लिखा था। उसकी ख़बर की दूसरी लीन थी-- विधायकों की गतिविधियों पर नजर रखने और असामाजिक तत्वों की आवाजाही की जांच के लिए उत्तरप्रदेश सरकार ने विधानसभा में क्लोज्ड सर्किट कैमरे (सीसीटीवी) लगाने का फैसला लिया है। जाहीर है सरकार के इस फैसले के पीछे हाल में घटी कुछ घटनाये हैं, जिन्होंने लोक्तान्त्रन्त्रिक संस्थाओं की मर्यादा को भी कलंकित किया है।
भारत के उतारी राज्य जम्मू-कश्मीर से लेकर लगभग सभी राज्यों की विधानसभा मार-पीट की गवाह बन चुकी है। इन घटनाओं से लोकतंत्र को कितना नुकसान पहुँचा है ये कहना तो मुश्किल है। लेकिन लोकतंत्र के हमारे स्थल जरूर इन घटनाओं से खबरों में आते रहते हैं। सरकार के इस फैसले से एक बात और साफ हो गई की अब सरकार भी इस तथ्य को स्वीकार करने लगी है की विधानसभा में गरम खून वाले लोग पहुँचने लगे हैं। इस नतीजे तक पहुचाने के पहले सरकार ने पूरे तथ्य जरूर जुटाए होंगे। अधिकारियों ने इस फैसले की घोषणा करते हुए बताया की करीब 81 सीसीटीवी कैमरों को परिसर में कई महत्वपूर्ण जगहों पर लगाया गया है। ये कैमरे विशेष तौर पर सत्र के दौरान विधायकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगाए जा रहे हैं। यह भी बताया गया कि हाल ही में बजट सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी के विधायक गैस से भरे गुब्बारे अपने शॉल में छुपाकर विधानसभा में लेकर आ गए थे। इस तरह की हरकतें दोबारा न होने देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
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