Sunday 30 September 2007

लोकतंत्र समर्थकों को मारते ये ङ्रैकुला !

सुना था किसी द्रकुला नाम के पात्र के बारे में जो लोगो को जिन्दा जल्वान कर खुश होता था। ऐसे कई द्रकुला आजकल एशिया में पैदा हो गए है। वो लोकतंत्र की मांग करने वालों को मार रहे है. भारत के आस-पास के देशों में लोकतंत्र का हाल देखिए । पाकिस्तान, अफ़्गानिस्तान, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, बंगलादेश! ये सारे भारत के पड़ोसी देश है और इन सभी देशों में लोकतंत्र के लिए लड़ाई चल रही है। कल ही खबर आयी थी कि म्यांमार में सैन्य सरकार ने विरोध दबाने के लिए गोलिया चलवाई , ९ लोग मारे गए । वहा के सारे विपक्षी नेता जेल में हैं । और अब बौध भिक्षु भी जेल में ठूंसे जा रहे हैं ।

पकिस्तान में सारे बारे नेता देश से बाहर भगा दिए गए है । और बंगलादेश में सारे बडे नेता जेल में बंद है । नेपाल में लड़ाई अभी भी नही थमी है । थैलंद के प्रधानमंत्री किसी और देश में छुपे हुए है । इराक और अफगानिस्तान में लड़ाई चल ही रही है । लोकतंत्र के नाम पर जारी लड़ाई का आलम ये है की हर आम आदमी नही जनता है कब उसके घर पर कही से कोई बम आकर गिरे और वो मारे जाये ।

सब क्रेडिट का खेल: रोजगार गारंटी , राम सेतु और २०-२० !

क्रेडिट कार्ड के ज़माने में हर आदमी के लिए जरूरी है कि वो अपने लिए कुछ-कुछ क्रेडिट बनाता रहे । बिना क्रेडिट के क्या रखा है जीने में । इस मामले मे अगर आम लोगो को कुछ सीखना है तो हमारे नेताओं से सीखें .

पहले बात राम की !
अब राम जी को भुला चुके उनके हिंदुत्ववादी भाइयो ने जब देखा की फिर राम जी दक्षिण भारत में अवतार लेने वाले है लग लिए अपनी क्रेडिट बनाने में । जगह-जगह पोस्टर जलने लगे और धरना देने लगे । साबका कुछ ना कुछ क्रेडिट बन्ने लगा और साथ ही अगले चुनाव के लिए नए पोस्टर बन्ने लगे । अब अपको बताते है की पोस्टर में कोण-कोण से लोग छपे । बीच में हाथ उठाये सम्भावीत उम्मीदवार , उसके ऊपर राम जी कि तस्वीर , एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेताओ के फोटो ।

२०-२०
२०-२० कप जीत कर लौटी टीम(सच बोले तो कप, खिलारी तो बेचारे पीछे ही रह गए) के साथ फोटो खिच्वाने के लिए मुम्बई में लगे मेले को तो आप देख ही चुके है । कई नेता जी लोग अपना क्रेडिट बना गए ।

आख़िर में रोजगार गारंटी!

सरकार ने एक योजना बनाई , सभी ग्रामीण परिवारों को रोजगार की गारंटी देने की । पहले इसे १०० जिलों में लागू किया गया । एक दिन अचानक राजकुमार अपनी टोली के साथ पहुंच गए प्रधानमंत्री महोदय के पास और माँग की कि इसे देश के सभी जिलों में लागू किया जाये । उन्होने इसे मान लिया और कहा देश के सभी युवाओं को ऐसे ही अछे काम करने चाहिऐ । अब मैं ये पूछता हू कि अगर kisi आम yuva ने ये माँग की होती तो आप इसे इतनी आसानी से मानते और अगर मानते भी तो उसका क्रेडिट क्या उसे ही देते ।

सच कहे तो बात हर जगह क्रेडिट बटोरने की है । और वो क्रेडिट भी हर आम आदमी की किस्मत में कहॉ है ।

Saturday 29 September 2007

अब हैमरमैन के आतंक के साए में 'दिल्ली'

लो फिर ड़र गए दिल्ली वाले। '

हैमरमैन ने ली एक और की जान'

किसी अखबार ने यही लिखा था अपने पहले पेज पर । अब अन्दर की कहानी सुनिये । पुलिस का कहना था की एक युवती सोई हुई थी और कोई आदमी वहा आया और और उसके सर पर वार कर भाग गया । युवती की शादी पिछ्ले माह हुई थी और उसकी विदाई होने वाली थी । लोगो ने कहा ये उसी हैमरमैन का काम है जिसने अब तक दिल्ली में कई महिलाओ के सर पर हथ्हौरे से वार किया है। पुलिस इस कहानी को नही मान रही है और शक में पड़ोस के एक लड़के को गिरफ्तार किया है । अब अगर पुलिस लोगो और मीडिया कि खबर को मानकर जांच करने लगे तो ना तो हैमरमैन पकड़ा जाएगा और ना ही असली aaropii । पुलिस को लड़की के पास से ईट मिल है और पेपर वाले खबर दे रहे की हैमरमैन की करतूत । अरे यार डरे हुए दिल्ली वालों को और क्यों डरा रहे हू यार । अभी अभी तो बेचारे घर के बहार से पाच उन्गालियीओ की निशां मिटाया है इन्होने । सुना नही था आपने क्या जब घरो में में मांगने वालो के भेष में चुरैलें आ रही थी ।

कुछ साल पहले जब दिल्ली में नही रहता था तब कई दिनों तक दिल्ली की एक खबर छपती रही। पड़कर दर लगता था। लोहे के बन्दर की कहानी । जो लोगो पर हमले कर्ता था । उत्तर प्रदेश के कई जिलों मे मुह नोच्वा ने कई महिनो तक आतंक मचाये रखा था . पता नही ये सारे कहॉ से आते हैं।

Friday 28 September 2007

कप जीत कर लाओ, फिर कुछ मांगो

अभी हाल ही मे हमारे कापर मंत्री जी का बयाँ आया था विदर्व के किसानो को लेकर । उन्होने गुजरात के किअसनो कि प्रसंषा करते हुए कहा था की वे बडे मेहनती है। और विदर्व के किसान कामचोर। इसी कारन विदर्व के किसान आत्महत्या करते है। एक और बयाँ आया है कर्णाटक के मुख्यमंत्री जी का । हॉकी खिलारी जब नाराज हो भूख हरताल पर जाने लगे तो सी एम् साहब ने कहा की वर्ल्ड कप लाओ तो क्रिकेट खिलारिओं कि तरह इन्नाम बतेंगे । दोनो बयाँ एकदम बराबर लगते हैं।

किसानो की बात उठी है तो कहते चले कि ट्वेंटी-२० वर्ल्ड कप जीत कर लौटी टीम इंडिया के स्वागत के लिए मुम्बई में जो नेताओ का जो मंच सजा था । उस मंच पर सबसे आगे बी सी सी आई के अध्यक्ष और देश के कृषि मंत्री साहब सबसे आगे मंच पर विराजमान थे । अब कल को कही वो भी नही कह दे कि भाई किसान लोग सरकार से हमेशा कुछ ना कुछ मांगते रहते हो। कभी कोई वर्ल्ड कप जीत कर लाओ फिर सरकार से मदद मांगने आना । नेता जी को कप उठा कर फोटो खिचाने से फुर्सत मिलेगी तभी तो किसानो के बारे में सोचेंगे ना।

दे दनादन: लूट सको तो लूट लो

टीम इंडिया चैम्पियन होकर लौटी है , स्वागत के लिए पूरी मुम्बई सडकों पर उतर गयी । सबसे ज्यादा ख़ुशी तो हमारे नेताओ को थी । स्वागत करने के लिए उन्होने मंच पर सबसे आगे कि सीट कब्जा ली । मंच पर खिलाडी कम दिख रहे थे और नेता ज्यादा । हर तरफ नेता ही नेता दिख रहे थे । inaamon कि बरसात हो रही थी और साथ ही विश्वविजेता होने का शंखनाद भी। नेताओं की भिड़ में बस हमारे कप्तान को ही अगली पंक्ति में जगह मील पाई। अगर वो भी कप्तान नही होते तो फिर देखते कैसे आगे बैठता ।

अरे भाई कप लाए चलो अच्छा किया । लेकिन ऐसा थोड़े ही होता है कि उसे लेकर तुम्ही देश भर में घुमोगे . ला दिए तुम्हारा काम ख़त्म अब उसे नेता जी को दे दो . चुनाव प्रचार में काम आएगा . हां तुम्हे जब-जब मंच पर बुलाया जाये पहुच जान. टीम में रहना है की नही.