Monday 31 December 2007

काश मेरा जन्मदिन भी साल में कई-कई बार आता!

प्रेम और जन्मदिन में क्या संबंध है?
आप भी सोचियेगा कि क्या फालतू का सवाल मैं कर रहा हूँ। सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन आधुनिक प्रेम में जन्मदिन का काफी महत्त्व है। आज-कल कई बार ऐसा होता है कि किसी दोस्त के बारे में एक साल के अन्दर कई बार उसके जन्मदिन के बारे में सुनने को मिल जाता है। पहले तो थोडी हैरत होती थी लेकिन अब इसमे कोई हैरानी नहीं होती। अब दोस्ती का मामला है भेद तो खोल नहीं सकता।

एक मेरे मित्र ने अप्रैल में एक बार जन्मदिन मनाई थी लेकिन अभी २-३ माह ही बीते थे कि बेचारे को एक दिन प्रेम हो गया। अब जो लड़की पसंद आई थी उसको इम्प्रेस करने के लिए उन्होने पार्टी देने कि सोची और कहा कि मेरा जन्मदिन पहली जनवरी को है। और इसी के साथ साहब ने अपनी नयी प्रेमिका को जन्मदिन मनाने के लिए पार्टी के लिए १ तारीख को दावत दे दी। मुझे पार्टी के लिए आमंत्रित करते हुए बताया गया कि बताना मत। अब मैं क्या कह सकता था। अगर मुझे ६ माह में सालाना जलसे की मिठाई खाने को मिले तो मुझे क्या हर्ज हो सकता था।

लेकिन मुझे सबसे ज्यादा हैरानी अपने मित्र महोदय के आत्मविश्वास से हुआ। उन्हें इस बात का पक्का यकीं था कि अगले साल पहली जनवरी से पहले इस महबूबा से छुटकारा मिल जायेगा। नहीं तो बेचारे ने इतना झूठ बोलने कि हिम्मत नहीं की होती। अब भईया हम तो साल में एक बार जन्मदिन मनाने का मौका मिलता नहीं २ बार-३ बार कहाँ से मनाता, आख़िर किसके लिए मनाता। ये सब बडे जिगर वालों का काम है जो प्यार को इस तरह से मैनेज करने का जिगर रखते हैं। वैसे भी प्यार कोई बच्चों का खेल नहीं।

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